400 चोले बदल चुका कोरोना
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन को लेकर अब तक दुनियाभर में कई अध्ययन सामने आए हैं, लेकिन पहली बार अमेरिकी विशेषज्ञों ने भारत के चिकित्सीय संस्थानों के साथ मिलकर चिकित्सीय अध्ययन किया है।
इसमें पता चला है कि कोरोना वायरस अब तक 400 बार स्वरूप बदल चुका है, परंतु ओमिक्रॉन किसी से अधिक घातक यानी गंभीर मिलने के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में प्रकाशन से पूर्व समीक्षा में चल रहे इस चिकित्सीय अध्ययन में दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के बायो केमिस्ट्री विभाग से भी विशेषज्ञों ने सहभागिता की है।
54 देश के 3604 मरीजों पर बीते 10 दिसंबर तक चले शोध में दिल्ली के भी तीन ओमिक्रॉन संक्रमित मरीज शामिल हैं, जो सबसे पहले यानी पांच से आठ दिसंबर के बीच मिले थे। इस दौरान ओमिक्रॉन की तुलना चीन के वुहान में सबसे पहले मिलने वाले वैरिएंट से भी की गई थी। साथ ही, इटली में तबाही मचाने वाले बी.1 वैरिएंट से भी की गई।
दिल्ली से पटना एम्स पहुंचे वरिष्ठ डॉ. आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी आने के बाद विश्व के वैज्ञानिकों ने एक जीएसआईडी नामक ऑनलाइन मंच बनाया है, जहां सभी तरह के सैंपल और उनकी सीक्वेंसिंग के बारे में जानकारी दी जाती है।
यहीं से बाकी देशों के सैंपल लिए गए और भारत में कर्नाटक, दिल्ली व महाराष्ट्र से सैंपल लेकर अध्ययन किया गया। उन्होंने कहा कि अभी तक यह साक्ष्य मिल चुके हैं कि कोरोना वायरस का सबसे घातक रूप डेल्टा है।
यह सबसे पहले महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में मिला था और वहां से दुनियाभर तक पहुंच गया। दूसरी लहर भी डेल्टा की वजह से आई थी। यह एंटीबॉडी को कम करता है और सांस लेने में कठिनाई को बढ़ाता है। ओमिक्रॉन इसके जैसा नहीं है।
यह तेजी से फैल सकता है, लेकिन बहुत हद तक जानलेवा नहीं है। दक्षिण अफ्रीका में इसके प्रसारित होने और एंटीबॉडी कम होने के कारण अलग हो सकते हैं, परंतु भारत में कोई साक्ष्य नहीं हैं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »साभारPublisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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