‘आज तू भी कुछ लिख दे यार’ के संबंध में टिप्पणी

सुनील कुमार माथुर
देवभूमि के पटल पर 9 नवम्बर 2022 को राजेश ध्यानी सागर की कविता आज तू भी कुछ लिख दे यार पढी। लेखन कार्य जितना आसान लगता है उतना आसान है नहीं चूंकि लेखन के लिए निरन्तर चिंतन मनन की जरुरत होती है। जब तक चिंतन मनन व मन मस्तिष्क में शब्दों का समुद्र मंथन नहीं होता हैं तब तक शुध्द , सत्य व हृदय की गहराइयों से सर्वमान्य लेखन नहीं होता हैं।
मुझे आज भी याद हैं वे दिन जब मनोज प्रजापत मेरे लेखन से प्रभावित होकर मेरे घर आया और लेखन पर चर्चा की। उसकी लेखन में गहरी रूचि देखकर मैं जितना सहयोग कर सकता था किया। उसकी मेहनत रंग लाई। उसकी नियमितता के कारण वह एक प्रतिष्ठित रचनाकार व पत्रकार बन गया। आज स्थिति यह है कि वह राजस्थान के नागौर जिले के मेडता सिटी से अपना स्वंय का न्यूज चैनल चला रहा हैं।
कहने का तात्पर्य यह हैं कि आज तू भी कुछ लिख दे यार! यही से कलम चलती है फिर वह रूकने का नाम नही लेती है। हां , लेखन में सच्चाई, ईमानदारी का होना नितांत आवश्यक है तभी हम कलम व लेखन के साथ न्याय कर पायेगे। चूंकि लेखन भी एक कला है न कि मौज मस्ती का साधन।
संबंधित रचना…
कविता : आज तू भी कुछ लिख दे यार
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() |
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|
Nice
Nice
Nice
Nice article 👍
Nice article