साहित्य लहर
सोच समझ के जन प्रतिनिधि चुनअ…
गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम
गाड़ी वाले को पशुशाला बनल
पशु पालक को मुर्गा दा..अ..रू।
बताव बताव गुरु जी कइसे बचूं
घर में पुछइत हे बेटी मेहरारू।
पढल लिखल के बात मानअ
बुद्धिजीवी लोग के साथ चलअ।
सोच समझ के प्रतिनिधि चुनअ
तोहर बदलत तब जरूर तकदीर।
जे होय गेल गलती सुधार करअ
अबकी पंचायत के उधार करअ।
शिक्षा,संस्कार,विकास के साथ रहअ
नशाखोरी के खुल के विरोध करअ।
जब समझदारी से वोट करबअ
हर तरह से तू लाभ में रहबअ।
जनप्रतिनिधि सलाम करतन
एक बात पर तोर काम करतन।
जब छोड़ देबअ मुफ्त के दारू
बेटा मेहरारू तब ना मारी झाड़ू।
गांव समाज में इज्जत बढतवअ
आव न रहतव हाल तोर बीमारू।
घरपर योजना के लाभ मिलतवअ
तोहरो पशुशाला जरूर बनतवअ।
गांव गांव पुस्तकालय खुलतवअ
बेटा बेटी पढ़लिख साहेब बनतवअ।