फुटपाथों पर व्यापार

सुनील कुमार माथुर
आज देश भर में विकास के नाम पर कानून कायदों की अनदेखी की जा रही हैं और जब चाहा तब मनमाने तरीके से कानून बदल दिये जाते हैं । जहां विकास होना चाहिए वहां सरकारी धन खर्च नहीं होता है लेकिन जहां जरूरत नही़ है वहां अनाप शनाप धन फूंका जाता हैं जिसकी मूल वजह हैं अपनों को लाभ दिलाना । यह बात सही हैं कि गांवों व शहरों का विकास होना चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं हैं कि हम दूसरों को परेशानी में डाल दे ।
आज शहरों में सडके चौडी करने के नाम पर एवं सौन्दर्यकरण के नाम पर सडकों के किनारे़ पैदल चलने वालों के लिए जो फुटपाथ बने हुए हैं उन पर आज लोगों ने अपने ढेले लगा लिए है तो कहीं पर दूध , सब्जियां , फल व जूस बिक रहा है तो कही पर दुकानदारों ने अपना सामान रखकर फुटपाथ पर कब्जा कर रखा है चूंकि यह सब संबंधित विभाग की नजर में ही लेकिन मिली भगत से सब चल रहा हैं ।
मजबूरन पैदल चलने वालों को सडक पर चलना पड रहा हैं और आयें दिन उन्हें कोई न कोई वाहन चालक टक्कर मार कर चोटिल कर रहें हैं जिसके कारण सडक दुर्घटनाओं का ग्राफ बढता ही जा रहा हैं । अतः सरकार को चाहिए कि सडके चौड़ी करने के नाम पर या सौन्दर्यकरण के नाम पर फुटपाथों को न हटाया जायें।
वहीं दूसरी ओर जिन लोगों ने फुटपाथों पर दुकाने लगा रखी है या अतिक्रमण कर रखा है उन्हें चिन्हित कर दंडित किया जाये व फुटपाथ खाली कराकर पैदल चलने वालें राहगीरों को बढती दुर्घटनाओं से बचाया जायें । समस्या तो समाधान चाहती हैं न कि दलगत राजनीति।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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