देहदान महादान
देहदान महादान, बस इसी भावना से वे देहदान कर रहे हैं और अंतिम समय में भी समाज की सेवा में देहदान कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में सैकडों लोगों ने मेडिकल कॉलेज और एम्स में देहदान कर मानवता का परिचय दिया। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
अभी तक हम नेत्रदान महादान, अंगदान महादान ही सुनते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देहदान महादान भी आरंभ हो गया हैं। देहदान करने वालों का मानना है कि अगर मृत्यु के बाद हमारी देह मेडिकल कॉलेज में विधार्थियों के पढने के काम आये तो देह जलाने के बजाय दान करना ही उचित है।
बस इसी भावना से वे देहदान कर रहे हैं और अंतिम समय में भी समाज की सेवा में देहदान कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में सैकडों लोगों ने मेडिकल कॉलेज और एम्स में देहदान कर मानवता का परिचय दिया।
लेखक के पास उपलब्ध सूची के अनुसार ललिता सुराणा, आसु लाल भिवानी, विनय कंवर, श्रीमती लक्ष्मी देवी, गवरा सिंघवी, द्रोपदी मेघनानी, सीतादेवी, सुमित्रा देवी, भगवती सोलंकी, मनोरमा जैन, बनारसी देवी, जवाहर लाल सुराणा शिवराज भाटी, बाल किशन जैन सहित सैंकड़ों लोगों ने मृत्यु पश्चात देहदान कर मानवीय मूल्यों को बनाए रखा। ऐसी महान विभूतियों को शत शत नमन है।
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