
सुनील कुमार माथुर
हे सूर्य देवता हमनें
तुम्हारा क्या बिगडा है
किस बात का तुम
हमें यह दण्ड दे रहें हो
सर्वत्र भीषण गर्मी पड रहीं है
वातावरण भट्टी की तरह तप रहा है
आसमान से शोले बरस रहें है
क्या जीव क्या जन्तु
हर कोई भीषण गर्मी से झुलस रहा है
हर घर भट्टी बनकर रह गया है
गर्मी के तांडव से
पंखे – कूलर सभी फैल हुए है
सूरज ने भृकुटि तानी है
आसमान से अंगारे बरस रहें है
उमस भरी गर्मी से
पसीने छूट रहें है
सडकों पर सन्नाटा छाया है
सूरज ने भृकुटि तानी है
हर जीव परेशान है
कूलर – पंखे सब फैल हुए
गर्मी का यह कैसा तांडव मचा है
सूरज तू किस बात का बदला ले रहा है
धरती का इंसान वैसे ही परेशान है
आप हम से किस बात का बदला ले रहें है
इस भीषण गर्मी से हर कोई परेशान है
हें सूर्य भगवान ! रहम करों , रहम करों
अपने क्रोध पर काबू कीजिए
देश की जनता को भीषण गर्मी से
राहत दिलाईये
अन्यथा
आपका यही रवैया रहा तो
भीषण गर्मी से भी लोग मर जायेंगे और
न जानें कितनों का घर उजड जायेंगा
हे सूर्य भगवान ! रहम करों , रहम करों
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() | From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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