
सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
5 अगस्त 2025 का दिन वह क्रूर दिन था जब दैनिक प्रतिनिधि के प्रधान संपादक श्री राजकुमार सिंह भण्डारी इस नश्वर संसार को छोड़कर परलोक सिधार गए। वे एक निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार थे। इसके साथ ही साथ वे एक समाजसेवी भी थे। विभिन्न संस्थाओं व संगठनों में उन्होंने अपनी महत्ती सेवाएं दी। उन्होंने कन्हैया गौशाला के माध्यम से गायों की सेवा की। वे एक सच्चे व सजग पत्रकार थे। मेरे पर व चेतन चौहान पर उनका असीम स्नेह रहा।
जब दैनिक प्रतिनिधि का जोधपुर के टी-2 इंडस्ट्रीयल एरिया से प्रकाशन आरंभ हुआ था तभी से मैं (सुनील कुमार माथुर), चेतन चौहान व एम मनोहर एच थानवी प्रतिनिधि में नियमित रूप से लेख व निगाहें आपकी लिखा करते थे और भंडारी जी उन्हें प्राथमिकता के साथ प्रकाशित कर हमारा मनोबल बढ़ाया करते थे। दैनिक प्रतिनिधि नये पत्रकारों के लिए एक प्रशिक्षण केन्द्र था। जहां नये पत्रकारों को अपनी ठनठनी लेखनी चलाने का पूरा मौका मिलता था। चूंकि राजकुमार सिंह भण्डारी स्वयं निष्पक्ष होकर सम्पादकीय लिखा करते थे। उनके लिखे सम्पादकीय काफी सटीक होते थे। चूंकि वे बिना लाग लपेट के लिखा करते थे। मुझे भी उनके सानिध्य में चौदह वर्षों तक दैनिक प्रतिनिधि में कार्य करने का मौका मिला।
इन चौदह वर्षों के दौरान प्रोफेसर लक्ष्मी कांत जोशी, जगदीश यायावर, मनोज बोहरा, राधेश्याम योगी, राजकुमार सिंह भण्डारी की बहन बाईसा, के डी इसरानी के साथ पत्रकारिता करने का मौका मिला, वही दूसरी ओर महेन्द्र भंसाली उस वक्त दैनिक प्रतिनिधि का सर्कुलेशन का कार्य देखा करते थे। 5 अगस्त 2025 को पत्रकार राजकुमार सिंह भण्डारी इस नश्वर संसार को छोड़कर परलोक सिधार गए। अब मात्र यादें और उनके साथ बिताए गए क्षण मानस पटल पर रह गये।
वे आज भले ही हमारे बीच नहीं रहे लेकिन हम उनको भूलाए नहीं भूल सकते। वे सच्चे अर्थों में लोकतंत्र के सजग प्रहरी थे। वे जनता-जनार्दन की आवाज थे और जनता की समस्याओं को प्रशासन और सरकार के समक्ष प्रस्तुत करते थे और जब तक उनका समाधान नहीं हो जाता तब तक वे चैन की सांस नहीं लेते थे। उनका कहना था कि एक स्वतंत्र मीडिया ही लोकतंत्र को सशक्त बना सकता हैं। उन्होंने मिशनरी पत्रकारिता के जरिए जो अलख जगाया वह किसी से छिपा नहीं है। उनका जीवन संघर्ष और सिध्दांतों की मिसाल रहा। उनकी लेखनी ने न केवल पत्रकारिता की दिशा बदली अपितु लोकतांत्रिक मूल्यों को भी मजबूती प्रदान की।
कभी भी हिम्मत नहीं हारी
ऐसा ही कर दिखाया हमारे पत्रकार राजकुमार सिंह भण्डारी ने। पत्रकार स्व. भण्डारी ने अपने जीवन काल में कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने कठिन परिस्थितियों का भी दृढता के साथ सामना कर युवाओं के समक्ष एक आदर्श मिशाल रखी। पत्रकारिता का कर्म को उन्होंने बखूबी निभाया। उन्होंने कभी भी अपनी कलम का सौदा नहीं किया अपितु उसका दबंगता के साथ निष्पक्ष और निर्भीक होकर राष्ट्र के विकास व उत्थान के लिए ही किया।
कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं
वे एक आदर्श पत्रकार थे और पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ पत्रकारिता की। उन्होंने पत्रकार के साथ ही साथ एक आदर्श मार्गदर्शक व पथप्रदर्शक भी थे। उनकी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं था। वे एक आदर्श, निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकार थे। उनकी लेखनी में दम्भ था। वे सदा सत्य लिखा करते थे। यही वजह हैं कि उनके लिखे लेखों व सम्पादकीय को पाठक गौर से पढा करते थे चूंकि वे सटीक व सारगर्भित आलेख व संपादकीय लिखा करते थे। यही वजह है कि बुद्धिजीवी विद्यार्थी उनके विचारों को अपने उत्तर में आवश्यकता के अनुसार उदाहरण (उल्लेख) करते थे।
सदैव रचनाकारों का मनोबल बढाया
स्व. भण्डारी ने जन समस्याओं को उजागर करने में भी अपनी महत्ती भूमिका निभाई। यही वजह है कि दैनिक प्रतिनिधि समाचार पत्र ने पाठकों, प्रशासन व सरकार के बीच में सदैव एक रचनात्मक पूल की भूमिका निभाई। भण्डारी जी ने सदैव नये रचनाकारों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया और हर रचनाकार को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने हर रचनाकार की कलम को धार दी और अपने पत्र में प्रमुखता के साथ स्थान देकर उनका मनोबल बढाया। उन्होंने काम को ही अपनी पूजा माना।
लेखन उनके लिए मां सरस्वती की आराधना था। वे कहते थे कि सदैव रचनात्मक लेखन करना चाहिए जिससे समाज व राष्ट्र को एक नई दशा और दिशा मिल सके ताकि लेखन के माध्यम से हम समाज में एक तरह से सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
मिशनरी पत्रकारिता कर एक मिसाल कायम की
वे पीत पत्रकारिता से सदा दूर रहें। उनकी पत्रकारिता मिशनरी पत्रकारिता थी। वे तो स्वयं अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार, तानाशाही व जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अग्रिम पंक्ति में हर वक्त खडे रहते थे। यहीं वजह है कि हर कोई दैनिक प्रतिनिधि समाचार पत्र का दीवाना है। उन्होंने मिशनरी पत्रकारिता कर समाज के सामने एक आदर्श व अनूठी मिसाल कायम की है।
कभी भी किसी के समक्ष झुके नहीं, टूटे नहीं
छोटे व मंझोले समाचार पत्र के जरिये समाज सेवा का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा था। अपने जीवन काल में उन्होंने अनेक कष्ट झेले लेकिन अपने चेहरे पर कभी भी उस पीड़ा या दुःख को झलकने नहीं दिया। उन्होंने डंके की चोट पर पत्रकारिता की और कभी किसी के आगे झुके नहीं, टूटे नहीं व बिके नहीं चूंकि समाज व राष्ट्र की सेवा करना ही उनका मूल उद्देश्य रहा। यही वजह है कि आज दैनिक प्रतिनिधि समाचार पत्र एक प्रतिष्ठित समाचार पत्रों की श्रेणी में गिना जाता हैं।
सदा संघर्षशील रहे
वे अपनी कार्यशैली के लिए जाने जाते थे। वे छोटे और मंझौले समाचार पत्रों के हितों के लिए सदैव संघर्षशील रहे और पत्रकारों के हितों के लिए सदैव अग्रणीय पंक्ति में खड़े रहे। उन्होंने अपने जीवन-काल में पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया। ऊर्जावान होने के साथ ही साथ वे दबंग छवि वाले पत्रकार थे। आज हम सभी पत्रकार बंधु, साहित्यकार और समाजसेवी उन्हें नमन करते हैं और यहीं प्रार्थना करते हैं कि वे परलोक में जहां भी हो अपना आशीर्वाद हम पर बनायें रखें व हमें सदैव मार्गदर्शन देते रहें ताकि सकारात्मक सोच के साथ हम अपने मिशन में आगे बढ़ते रहें। उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था। वे सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे। देश की गंदी राजनीति से सदा दूर रहें।
पत्रकारिता जगत की महान हस्ती थे
वे पत्रकारों के मित्र, गुरू, मार्गदर्शक, सलाहकार व मददगार थे। उन्होंने अपने हौसले व हुनर से पत्रकारिता जगत की महान हस्ती बने और इन क्षेत्रों का मान बढ़ाया। साथ ही साथ युवाओं को प्रेरित करते हुए नई राह दिखाई और सफलता की सीढियां चढ़ने में कदम-दर-कदम मदद की। उनका जीवन स्वच्छ व निर्मल था। समझो गंगा जैसे पवित्र थे। वाणी में हरदम राम नाम, सेवा का भाव हृदय में था, परिवार के वटवृक्ष को संस्कार के जल से सींचा था।
आपका जीवन हमेशा सभी को प्रेरित करता था। उन्होंने सेवा और सादगी के आदर्श को अपने जीवन में साकार कर दिखाया। वे सरल स्वभाव के धनी थे। सादा जीवन और उच्च विचारों को अपनाकर उन्होंने सादगी की मिसाल कायम की। वे एक तरह से आध्यात्मिक गुरू थे। यहीं वजह है कि आपके अमिट सेवा कार्य युगों-युगों तक उजियारा करेंगे। अपने समस्त सेवा भाव, भक्ति, अध्यात्म, मिलनसार व मददगार व्यक्तित्व की छाप हमारे दिलों पर छोड़ कर सदा-सदा के लिए परमपिता परमेश्वर की दिव्य ज्योति में विलीन हो गये।
नियति ने असमय ही आपको हम से छीन लिया। आपकी सहृदयता, धर्मपरायणता एवं चारित्रिक विशेषताएं चिर स्मरणीय एवं प्रेरणादायी हैं। आपके आदर्श सभी के लिए एक प्रकाश स्तम्भ की तरह हैं। आप ही हमारी प्रतिष्ठा, सम्मान एवं ताकत हैं। हमें हर पल यही अहसास होता हैं कि आप हमारे साथ हैं। आपकी यादों की अमूल्य धरोहर हमें जिन्दगी की हर जंग जीतने की ताकत और प्रेरणा देती हैं।
हमारे प्रेरणा स्रोत थे
भण्डारी जी हमारे प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं। वे स्वयं में एक आन्दोलन थे। वे एक सच्चे कर्मयोगी थे। पत्रकारिता व संस्कारों के साथ साहित्य में उनकी गहरी रूचि थी। वे अत्यंत सरल स्वभाव, धार्मिक प्रवृत्ति, सिध्दांतों के प्रति समर्पित व्यक्ति थे। दृढ़ मनोबल व कर्मठ व्यक्तित्व ही उनकी एक स्थाई पहचान है। वे सम्पूर्ण मानव जाति के संरक्षक, समाजसेवी, निर्भीक, विचारवान व सत्य एवं अहिंसा के प्रबल प्रहरी थे। जाति, धर्म, ऊंच-नीच और भेदभाव से ऊपर उठकर समाज को नैतिकता के उच्च विचार प्रदान किये। अपने विवेक और नैतिक बल से इंसान और इंसानियत को संवारा सजाया। इंसानियत को समर्पित इस महान विभूति की क्षतिपूर्ति असंभव है। बिरले ही लोग हुआ करते हैं जो अपनी यादों को संसार में छोड़ जाते हैं। उनका जीवन जनसरोकार की पत्रकारिता के लिए समर्पित रहा।
संक्षेप में वे एक कर्मयोगी, क्रांति के पुरोधा, शांति के दूत, पथप्रदर्शक और संरक्षक थे। आप एक ज्योति पूंज के रूप में सदैव हमारे पथ प्रदर्शक बने रहेंगे। आपकी विद्वता, विराट व्यक्तित्व, मृदु स्वभाव व प्राणी मात्र के लिए असीम स्नेह हमारे लिए सदैव प्रेरणा का स्त्रोत रहेगा। अपने बहुमुखी व्यक्तित्व से पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में जो अमिट छाप छोड़ी है उसका कोई सानी नहीं है। आपका जीवन दर्शन हमारी सभी आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहे।
Nice