आपके विचार

22 अगस्त : निष्पक्ष पत्रकारिता के धनी “राज शेखर भट्ट”

22 अगस्त : निष्पक्ष पत्रकारिता के धनी “राज शेखर भट्ट”… मैं देवभूमि समाचार पत्र के सम्पर्क में सितम्बर 2019 में आया और मेरी पहली रचना 30 सितम्बर 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर प्रकाशित हुई और उसके बाद से निरन्तर रचनाएं प्रकाशित हो रही है और अब तक करीबन 750 से भी अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है… #सुनील कुमार माथुर जोधपुर, राजस्थान

22 अगस्त : निष्पक्ष पत्रकारिता के धनी "राज शेखर भट्ट"... मैं देवभूमि समाचार पत्र के सम्पर्क में सितम्बर 2019 में आया और मेरी पहली रचना 30 सितम्बर 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर प्रकाशित हुई और उसके बाद से निरन्तर रचनाएं प्रकाशित हो रही है और अब तक करीबन 750 से भी अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है... #सुनील कुमार माथुर जोधपुर, राजस्थानकोरोना काल को हमने बहुत नजदीक से देखा। इस समय ने हमारे जीवन को संकट में डाल दिया और जीवन में कुछ समय के लिए विराम डाल कर देश की समूची व्यवस्था को झंझोर कर रख दिया इस काल में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला स्तंभ पत्रकारिता भी लड खडा गई। वहीं अनेक छोटे व मंझोले समाचार पत्र व पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया और आनलाईन पत्रकारिता आरम्भ हो गई। जो एक दुःख का विषय है।

आजादी के वक्त की पत्रकारिता मिशनरी पत्रकारिता थी। चूंकि हमारे आजादी के दीवाने न केवल भारत माता को अंग्रेजी दासता से मुक्त ही कराना चाहते थे अपितु देश कि जनता में आजादी का शंखनाद फूंकना भी था। इस वजह से उन पर दौहरी जिम्मेदारी थी। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और इसी अगस्त माह की 22 अगस्त को आजादी की वर्षगांठ वाले माह में पत्रकार चन्द्र शेखर भट्ट के यहां राज शेखर भट्ट का जन्म हुआ।

चन्द्र शेखर भट्ट एक निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार के साथ एक आदर्श शिक्षक भी थे। इसलिए राजशेखर भट्ट को बचपन में ही आदर्श संस्कार प्राप्त हुए। स्वर्गीय पत्रकार चन्द्र शेखर भट्ट के आदर्श पद चिन्हों पर चलते हुए राजशेखर भट्ट ने भी पत्रकारिता के व्यवसाय को चुना और निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता कर रहे हैं।

राजशेखर की पत्रकारिता मिशनरी पत्रकारिता हैं। वे समाज की हर ज्वलंत समस्याओं को उजागर करने में कभी पीछे नहीं रहते हैं। उनके लिखे सम्पादकीय सटीक व चिंतन मनन योग्य होते हैं। उसमें तनिक भी लाग लपेट नहीं होती है, अपितु कटु सत्य होता हैं। आज देश में बडे बडे समाचार पत्र विज्ञापन पाने के लिए पीत पत्रकारिता कर रहे हैं इसके बावजूद भी राजशेखर भट्ट अपने रचनात्मक मिशन पर चल रहे हैं ‌ एवं पीत पत्रकारिता से कोसो दूर हैं।

राजशेखर भट्ट ने सदैव नये लेखकों व पत्रकारिता में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रोत्साहन दिया और आज भी दे रहे हैं। उन्होंने हमेशा देवभूमि समाचार पत्र के पटल पर व इंडियन आईडल पत्रिका मे़ पाठकों को व रचनाकारों को गौरवमय स्थान दिया व विभिन्न विषयों पर लेखन प्रतियोगिता आयोजित कर उन्हें सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। उसी के साथ ही साथ समय समय पर उनका हौसला अफजाई किया। इतना ही नहीं साहित्यकार ही नहीं है अपितु एक सच्चे इंसान, सच्चे मित्र, पत्रकार व अपने साथी मित्रों को सही पथ दिखाने वाले शिक्षक भी हैं।



भट्ट के मन में मैंने सदैव परोपकार का ही भाव देखा हैं। उनके मन में सेवा का भाव ऐसा कूट कूट कर भरा हुआ है कि उनका पत्रकारिता की ओर रूझान हो गया व साहित्य सृजन एवं पत्रकारिता के माध्यम से समाज की सच्ची व उत्कृष्ट सेवा कर रहे हैं। आम जन में साहित्य के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए उन्होंने अपने स्तर पर समय समय पर अनेक प्रयोग किये व साहित्यकारो की एक टीम तैयार की। श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए राजशेखर भट्ट आज भी प्रयासरत हैं और साहित्यकारो में साहित्य सृजन का अलख जगाने का प्रयास सदैव बना रहना चाहिए।

इलाज के लिए बेटी को पीठ पर 22 किमी पैदल लाया पिता, 18 दिनों से बंद है…



उनका जीवन एक खुली किताब हैं। उन्हें पत्रकारिता के अलावा गीत संगीत, भ्रमण, नित नये प्रयोग करने का भी शौक है। अपने साथी मित्रों के बीच हंसी-मजाक भी करते रहते हैं तो शंका का समाधान भी करने से नहीं हिचकिचाते हैं। रचनाकारों का मार्गदर्शन कर उन्हें एक नई दशा और दिशा प्रदान करते हैं। वे पत्रकारिता के जरिए समाज की निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं जो अतुल्यनीय हैं।



उनकी कार्यशैली, व्यवहार कुशलता, सकारात्मक सोच, नेतृत्व व संगठन निर्माण की क्षमता, दूरदर्शिता, समर्पण का भाव वंदनीय और सराहनीय है। उनकी सादगी, शालीनता, सहृदयता व सहिष्णुता वास्तव में हमें उनके साथ कार्य करने के लिए सतत प्रेरित करती हैं। चूंकि हम भाग्यशाली हैं कि हमें उनका सानिध्य प्राप्त हुआ है। यही वजह है कि जो व्यक्ति एक बार राजशेखर भट्ट के संपर्क में आ जाता है तो वह सदा उनका होकर रह जाता हैं। वे जितने सिनेमा प्रेमी है उतना ही साहित्य प्रेमी भी हैं।



मैं देवभूमि समाचार पत्र के सम्पर्क में सितम्बर 2019 में आया और मेरी पहली रचना 30 सितम्बर 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर प्रकाशित हुई और उसके बाद से निरन्तर रचनाएं प्रकाशित हो रही है और अब तक करीबन 750 से भी अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है जिसमें पुस्तक समीक्षा, महिला जगत, राजनीति, जन समस्याओं को लेकर सम्पादक के नाम पत्र, व्यंग्य, स्मृति शेष, जयन्ती, पुण्यतिथि पर आलेख आदि आदि सम्मिलित हैं। राजशेखर भट्ट ने हमेंशा मार्गदर्शन किया और हौसला अफजाई भी।

पत्रकार राज शेखर भट्ट अपने पत्रकारिता के मिशन मे सदैव कामयाब हो। यही हमारी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं है।


22 अगस्त : निष्पक्ष पत्रकारिता के धनी "राज शेखर भट्ट"... मैं देवभूमि समाचार पत्र के सम्पर्क में सितम्बर 2019 में आया और मेरी पहली रचना 30 सितम्बर 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर प्रकाशित हुई और उसके बाद से निरन्तर रचनाएं प्रकाशित हो रही है और अब तक करीबन 750 से भी अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है... #सुनील कुमार माथुर जोधपुर, राजस्थान

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights