शान्ति और सद्भावना की प्रतिमूर्ति : स्व0 प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री
शान्ति और सद्भावना की प्रतिमूर्ति : स्व0 प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री… उन्होंने खेतों में काम करने वाले किसानों व सीमा पर तैनात जवानों का हौसला अफजाई करने के लिए जय जवान जय किसान का नारा दिया। देश में अन्न का संकट देखते हुए उन्होंने देशवासियों से सप्ताह में एक दिन उपवास करने की अपील की थी जिस पर देशवासी आज भी अमल कर रहें हैं #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
2 अक्टूबर का दिन भारतवासियों के लिए गर्व और गौरव का दिन है, चूंकि आज ही हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी का जन्म दिन है और आज ही स्व 0 प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दिन है। दोनों महा पुरुषों का जन्म दिन एक साथ आना भी एक गर्व व गौरव की बात हैं। जो एक अनूठा संयोग ही कहा जा सकता है। स्व 0 प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका परिवार मध्यम वर्गीय परिवार था। इसलिए गरीबी क्या होती हैं यह बात उनसे छिपी हुई नहीं थी, उन्हें बचपन से अच्छे व आदर्श संस्कार मिले थे.
इसलिए वे जीवन पर्यन्त ईमानदारी के मार्ग पर चलते रहे और अपने कर्म को ही उन्होंने पूजा समझा वे एक नेक व निष्ठावान इंसान थे। वे शान्ति और सद् भावना की प्रतिमूर्ति थे। उनमें देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। उन्होंने अपने जीवन काल में जिस जिस पद को संभाला। उस उस पद का मान सम्मान ही बढाया और उस पद को गौरवान्वित ही किया। वे बडे ही मेहनती और सूझबूझ वालें इंसान थे। जब वे रेल मंत्री थे तब एक छोटी सी रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा उन्होंने नैतिकता के आधार पर दिया था न कि किसी दबाव में आकर।
भले ही ट्रेन वे न चला थे, लेकिन स्वयं पर नैतिक जिम्मेदारी लेकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था। वे सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे। उनकी कथनी और करनी में कोई भी अंतर नहीं था। यहीं वजह है कि हर पद की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। वे कद में भले ही छोटे थे लेकिन उनके विचार उच्च थे। राष्ट्र की सेवा करना ही उनका परम ध्येय था गरीबी में पले और बडे हुए इसलिए वे यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि गरीबी क्या होती है। देश के प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचने के बाद में भी उन्होंने अपने जीवन में सादगी को ही अपनाये रखा अगर वे चाहते तो शान शौकत का जीवन व्यतीत कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
उन्होंने खेतों में काम करने वाले किसानों व सीमा पर तैनात जवानों का हौसला अफजाई करने के लिए जय जवान जय किसान का नारा दिया। देश में अन्न का संकट देखते हुए उन्होंने देशवासियों से सप्ताह में एक दिन उपवास करने की अपील की थी जिस पर देशवासी आज भी अमल कर रहें हैं और हर सोमवार को आधिकांश लोग उपवास रखते हैं।
अगर सही मायने में देखा जाये तो वे शान्ति के दूत थे। वे घमंड व अंहकार से कोसों दूर थे। चूंकि उन्हें बचपन से ही आदर्श संस्कार मिले थे और वे उन पर अपने जीवन काल के अंतिम क्षण तक चलते रहे। आज की युवाशक्ति को स्व 0 प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से प्रेरणा लेकर उसे अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए और एक नये भारत का नव निर्माण करना चाहिए। जहां सर्वत्र शान्ति, सद् भाव, दया, परोपकार, धैर्य, सहनशीलता, त्याग, देश भक्ति की भावना, अहिंसा का भाव हो।