धर्म-संस्कृति

भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित है हरतालिका तीज

भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित है हरतालिका तीज… तीज व्रत के व्रती को शयन का निषेध और रात्रि में भजन कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करना पड़ता है। प्रातः काल स्नान करने के पश्चात् श्रद्धा एवम भक्ति पूर्वक किसी सुपात्र सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री,वस्त्र,खाद्य सामग्री,फल,मिष्ठान्न एवम यथा शक्ति आभूषण का दान करना चाहिए। #सत्येन्द्र कुमार पाठक 

भारतीय और सनातन धर्म की संस्कृति में महिलाओं के सौभाग्यवती और चतुर्दिक विकास के लिए हरतालिका तीज महत्वपूर्ण है। भाद्रपद शुक्ल तीज को हरतालिका, हरतालिका तीज, तीजा, भादो तीज, कहा गया है।भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि , हस्त नक्षत्र को निर्जला रहकर कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। तीज व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती है। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। तीज व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ कर और स्नानादि से निवृत हो कर पूरा श्रृंगार करती हैं।

पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित करने के बाद माता पार्वती को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।इस व्रत की पात्र कुमारी कन्यायें या सुहागिन महिलाएं दोनों ही हैं परन्तु एक बार व्रत रखने बाद जीवन पर्यन्त इस व्रत को रखना पड़ता है। यदि व्रती महिला गंभीर रोगी हालात में हो तो उसके वदले में उसका पति व्रत को रख सकने का विधान है। ज्यादातर यह व्रत उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग मनातें हैं।

तीज व्रत के व्रती को शयन का निषेध और रात्रि में भजन कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करना पड़ता है। प्रातः काल स्नान करने के पश्चात् श्रद्धा एवम भक्ति पूर्वक किसी सुपात्र सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री,वस्त्र,खाद्य सामग्री,फल,मिष्ठान्न एवम यथा शक्ति आभूषण का दान करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसा रवियोग होने के कारण अद्भुत योग में व्रत और पूजन से सुहागिन महिलाओं की सभी मुरादें पूरी होगी। हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।

हरतालिका तीज पर पूजन के दौरान महिलाएं काले, नीले और बैंगनी रंग के वस्त्र न पहनें. लाल, महरूम, गुलाबी, पीले और हरे रंग के वस्त्रों को पहनकर महिलाएं विधि पूर्वक पूर्व अथवा उत्तर दिशा की और मुख करके मां पार्वती और भगवान शिव का पूजन करन चाहिए। हरतालिका तीज गुरुवार होने के कारण भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी। कन्याओं के विवाह में बाधाएं और विलंब हो रहा है, तो इस व्रत को करने से उनका विवाह जल्द होगा।हरतालिका तीज व्रत का पूजन रवियोग में करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। राजा हिमांचल की पुत्री माता पार्वती द्वारा भगवान शिव की प्राप्ति के लिए तथा मनोकामनाए हेतु हरतालिका तीज की थी। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि माता पार्वती और भगवान सही को समर्पित है।

‘दैणा होया मेरा खोली का गणेशा’ और ‘घर में पधारो गजानन जी’ के…


भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित है हरतालिका तीज... तीज व्रत के व्रती को शयन का निषेध और रात्रि में भजन कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करना पड़ता है। प्रातः काल स्नान करने के पश्चात् श्रद्धा एवम भक्ति पूर्वक किसी सुपात्र सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री,वस्त्र,खाद्य सामग्री,फल,मिष्ठान्न एवम यथा शक्ति आभूषण का दान करना चाहिए। #सत्येन्द्र कुमार पाठक 

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