देहरादून समेत चार जिलों में भारी बारिश का यलो अलर्ट, खतरे के…
देहरादून समेत चार जिलों में भारी बारिश का यलो अलर्ट, खतरे के निशान से ऊपर बह रही अलकनंदा… सबसे कम बारिश की बात करें तो पौड़ी जिले में सबसे कम 189.6 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य बारिश से 47 फीसदी कम है। कम बारिश के मामले में दूसरे नंबर पर कुमाऊं का चंपावत जिला है, यहां बृहस्पतिवार तक सिर्फ 184.8 एमएम बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य वर्षा से 38 फीसदी कम है।
उत्तराखंड। प्रदेश के पर्वतीय जिलों में आज भारी बारिश होने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से देहरादून समेत चमोली, नैनीताल और पिथौरागढ़ जिले के कुछ इलाकों में भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। बागेश्वर जिले में भारी से भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। अन्य जिलों में भी कई दौर की तेज बारिश होने के आसार हैं।
देवप्रयाग में गंगा खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रही है। सुबह से अलकनंदा नदी के जलस्तर में पांच मीटर की बढ़ोतरी हुई है। देवप्रयाग स्थित श्राद्ध भवन, फुलाड़ी घाट और नमामि गंगे के द्वारा बनाया गया टोडेश्वर घाट नदी में डूब गए हैं। श्रीनगर में भी अलकनंदा का जल स्तर चेतावनी स्तर से ऊपर है। यहां भी घाट डूब चुके हैं।
अगस्त के शुरुआत से ही प्रदेश के कुछ जिलों में हो रही मूसलाधार बारिश लोगों की परेशानी बढ़ाए हुए है। आलम यह है कि गढ़वाल मंडल में तो चमोली और देहरादून जिले में अभी तक सबसे ज्यादा बारिश हो चुकी है। जबकि कुमाऊं मंडल के बागेश्वर में सामान्य से अधिक बारिश होने के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
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आंकड़ों पर नजर डालें तो चमोली जिले में 360.1 एमएम बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से बारिश से 83 फीसदी है। जबकि दूसरे नंबर पर देहरादून जिला है, यहां अगस्त के 22 दिनों में कुल 483 एमएम बारिश हो चुकी है, जो सामान्य वर्षा से 25 फीसदी अधिक है। गढ़वाल के बाकी जिलों में सामान्य बारिश हुई है। पूरे प्रदेश भर की बात करें तो सबसे ज्यादा बारिश कुमाऊं के बागेश्वर जिले में हुई है, यहां 721.8 एमएम बारिश हो चुकी है, जो सामान्य बारिश के आंकड़े से 279 फीसदी अधिक है।
सबसे कम बारिश की बात करें तो पौड़ी जिले में सबसे कम 189.6 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य बारिश से 47 फीसदी कम है। कम बारिश के मामले में दूसरे नंबर पर कुमाऊं का चंपावत जिला है, यहां बृहस्पतिवार तक सिर्फ 184.8 एमएम बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य वर्षा से 38 फीसदी कम है। वहीं, पूरे प्रदेश भर में 22 अगस्त तक 325 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य बारिश से सिर्फ नौ फीसदी अधिक है।