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साहित्य लहर

कविता : तू सो गयी, मैं चुप हो गया

राजेश ध्यानी ‘सागर’

तू सो गयी
मैं चुप हो गया ,
तू जागीं तो मैं
भटक गया।
तू बोलीं तो मैं
रूक गया।

तू हंसी मैं
थम गया ,
तू चलीं तो
रहा ना गया ,
तू रोंई तो
संहा ना गया।

ए अनहोनी कश्ती
की डगर
क्यूं तुझसें मैं
बांधा ना गया।

बन्ध जाता तो ,
लहर कहती ,
तुझें दिशा का ज्ञान नहीं
मै तो संमा जाऊंगीं पगलें
तू ना जाने
क्यूं आ गया।

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राजेश ध्यानी “सागर”

वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखक

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144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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