कल की चिंता
कल की चिंता… अगर हम अब भी ईश्वर की भक्ति व परोपकार के कार्य करें तो न केवल यह जीवन अपितु आगामी जीवन भी सुधर जायेगा। कर्म जब भी करें तब श्रेष्ठ कर्म ही करें। चूंकि कर्मों का फल तो हमें ही भुगतना हैं किसी और को नहीं। इसलिए कभी भी कल का भरोसा न करें। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
इंसान हर समय कल की चिंता करता रहता हैं और कल के चक्कर में आज को बिगाड़ देता हैं और कल कभी आता नहीं हैं। कल कल करते जिन्दगी निकल जाती है और हम जहां थे वहीं रह जाते हैं व मेहनत करने वाले तथा समय के साथ चलने वाले आगे बढ जाते हैं।
कल की चिंता करने वालें अगर कृष्ण का चिंतन करे तो कल क्या पूरा जीवन ही सुधर जाए। लेकिन आलस के कारण व अपनी मूर्खता की वजह से वह कृष्ण चिंतन नहीं कर पा रहा हैं। यह जीवन हमें कोई यूं ही नहीं मिला है। हमारे परिवारजनों या हमने पहले कोई अच्छे कर्म किये होंगे जिसके परिणामस्वरूप हमें यह मानव जीवन मिला है।
अगर हम अब भी ईश्वर की भक्ति व परोपकार के कार्य करें तो न केवल यह जीवन अपितु आगामी जीवन भी सुधर जायेगा। कर्म जब भी करें तब श्रेष्ठ कर्म ही करें। चूंकि कर्मों का फल तो हमें ही भुगतना हैं किसी और को नहीं। इसलिए कभी भी कल का भरोसा न करें। जितना हो सके उतना आज कर लिजिए और शेष कल कल लिजिए तो इसमे़ कोई बुराई नहीं है।