प्यार खतरनाक क्यों होता जा रहा है…?
प्यार खतरनाक क्यों होता जा रहा है…? सामने वाला व्यक्ति उससे बचने के लिए ऐसा कृत्य कर बैठता है। यहां मेच्योरिटी का अभाव, विकृत स्वभाव, गुस्सा और ऐसी तमाम बातें एक साथ काम करने लगती हैं। नोएडा (उ.प्र.) से स्नेहा सिंह की कलम से…
अभी जल्दी हत्या की जो घटनाएं घटी हैं, उनमें दिल्ली में आफताब नाम के व्यक्ति ने अपनी लिव इन पार्टनर की हत्या कर दी है, तो थाणे के एक रिसोर्ट में भी एक आदमी ने अपनी प्रेमिका को मार डाला है। सुन कर कंपकंपी छूट जाए इस तरह लोगों ने अपने प्रेमीजनों की हत्या की है। यह कैसा गुस्सा, यह कैसा जुनून, यह कैसी नफरत कि आगे-पीछे का सोचे बगैर अपने ही प्यार को बड़ी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। आजकल अखबारों में आ रहे प्रेम प्रकरण के बाद हत्या के मामलों में क्या सचमुच दो पात्रों के बीच प्यार होता है?
यह सवाल जरूर मन में उठता होगा। लेकिन अगर सचमुच में प्यार होता है तो वह अचानक गायब कैसे हो जाता है और लोग क्यों इस तरह की निष्ठुरता पर उतर आते हैं? सच बात तो यह है कि आज के समय में लोग शारीरिक आकर्षण को प्यार का नाम दे कर किसी भी तरह का कमिटमेंट दिए बगैर नजदीक आ जाते हैं। हर तरह के संबंध के बाद दो में से कोई एक व्यक्ति जब कमिटमेंट की मांग करता है, तब समस्याएं खड़ी होने लगती हैं। शुरूआत में तो सब कुछ अच्छा लगता है, पर जैसे-जैसे समय बीतता है और संबंध पुराने होते हैं तो दो में से एक व्यक्ति कमिटमेंट की बात करता है तो सामने वाला व्यक्ति उससे बचने के लिए ऐसा कृत्य कर बैठता है। यहां मेच्योरिटी का अभाव, विकृत स्वभाव, गुस्सा और ऐसी तमाम बातें एक साथ काम करने लगती हैं।
शारीरिक आकर्षण को प्यार का नाम न दें
हम सब की सब से बड़ी समस्या यह है कि हम सभी शारीरिक आकर्षण को प्यार मानने की भूल कर बैठते हैं। शुरूआत में किसी व्यक्ति से मिलना होते और वह अच्छा लगने लगता है तो उसे इम्प्रेस करने की कोशिश शुरू हो जाती है। इम्प्रेस होने के बाद सब से बड़ा गोल शारीरिक निकटता पाने की होती है। जब तक शारीरिक निकटता नहीं मिलती, तब तक सामने वाले पात्र को मनाने, इम्प्रेस करने के लिए व्यक्ति खुद कुछ भी नहीं है इस तरह का व्यवहार करने में भी नहीं हिचकता। सामने वाले पात्र की मनपसंद की हर चीज करने वाला व्यक्ति शारीरिक सुख मिलने के बाद धीरे-धीरे उसका व्यवहार बदलने लगता है।
अब उसे सामने वाले व्यक्ति में कमियां दिखाई देने लग जाती हैं। इस तरह के संबंधों में खरी समस्या शारीरिक निकटता मिलने के बाद ही शुरू होती हैं। इसलिए अगर आप को किसी को देख कर आकर्षण का अनुभव होता है तो उसे प्यार का नाम न दें। किसी भी संबंध को शुरू करने के पहले पूरा समय लें। अगर आप को किसी भी पात्र से सचमुच लगाव है और सामने वाले पात्र की ओर से भी सचमुच लगाव का अनुभव हो रहा है, तभी संबंध शुरू करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।
जहां प्यार होगा, वहां हिंसा नहीं होगी
सब से बड़ी बात यह है कि आप जिस व्यक्ति से सच्चा प्यार करते हैं, उसे जरा भी तकलीफ होगी तो आप को उससे ज्यादा तकलीफ महसूस होगी। आप जिसे प्यार करते हैं, उसे तिनका भर भी आंच नहीं आने पाए इस बात का ध्यान रखेंगे और यह बात आप के व्यवहार में हमेशा झलकती रहेगी। अगर ऐसे संबंध में हिंसा होती है तो समझ लीजिए निश्चित प्यार का अभाव है। क्योंकि जहां प्यार होगा, वहां हिंसा बिलकुल नहीं होगी। भले ही दोनों व्यक्ति के बीच किसी बात को ले कर अनबन हो, झगड़ा हो, पर हर झगड़े के अंत में सुलह हो जाती है। अगर सुलह न हो और बात हिंसा तक पहुंचे तो समझ लीजिए कि आप के संबंध में सामने लालबत्ती आ गई है। आगे चल कर किसी तरह की बड़ी समस्या खड़ी हो, उसके पहले ही इस मामले में चेत जाना बहुत जरूरी है।
मेच्योरिटी का अभाव, लिव इन का प्रभाव
आज लोग लिव इन को प्रधानता देने लगे हैं। एक-दूसरे को अच्छा लगने लगे तो दूसरे शहर में जा कर एक-दूसरे के साथ रहने लगते हैं। जब एक-दूसरे के साथ रहने की शुरुआत होती है, तब तो उत्तेजना, थ्रिल, रोमांस से ले कर तमाम तरह के लगाव की कोंपले मन में फूटती हैं, इसलिए ज्यादातर शुरू-शुरू में सब कुछ बहुत अच्छा लगता है, पर जैसे-जैसे समय बीतता है, लोगों को एक-दूसरे के असली स्वभाव का पता चलता है। लिव इन में रह कर पति-पत्नी की मुहर लगे बगैर कपल ऐसे सभी काम करते हैं, जो पति-पत्नी करते हैं। इस तरह के समय में दो में से एक को यह उम्मीद हो जाती है कि जिसके साथ इतना समय एक ही छत के नीचे गुजारा है, उसी के साथ ब्याह होगा।
भूलचूक से दूसरा पात्र ऐसा नहीं सोचता है तो कुछ समय बाद लिव इन पार्टनर से किसी कारणवश अलग होने का मन हो तब संबंध में समस्या शुरू होती है। बात ऐसी है कि लिव इन में अलग होने के चांस अधिक रहते हैं। किसी शर्त के बगैर साथ रहने वाले लोग अलग होने के लिए स्वतंत्र हैं। वे कभी भी अलग होने का निर्णय ले सकते हैं। पर दो में से एक पात्र भावनात्मक रूप से जुड़ा गया हो तो इस मामले में वह दुखी हो जाता है। एक का दुख दूसरे के लिए समस्या बनता है और दूसरे की निष्ठुरता दूसरे प्यार करने वाले व्यक्ति के लिए दुखी होने का सब से बड़ा कारण बन जाती है। आज का युवा लिव इन के फायदे गिनाते थकता नहीं है। कुछ हद तक यह अच्छी होगी, पर इसके लिए आप को मेच्योर होना चाहिए। अगर आप के अंदर मेच्योरिटी का अभाव होगा तो आगे चल कर आप के लिए यह निर्णय भारी पड़ सकता है।
मेच्योरिटी का अभाव और गुस्सा
आज के युवाओं में पर्याप्त मेच्योरिटी नहीं होती। एक तो सोशल मीडिया में, मोबाइल, टीवी जैसे माध्यमों में जितना नहीं देखना चाहिए, उतना देख जाते हैं कि कभी-कभार दिमाग ऐसे विचारों के लिए चढ़ जाता है। मेच्योरिटी के अभाव भी व्यक्ति के अंदर हिंसक मानसिकता ला सकता है। इसलिए किसी भी चीज के लिए शांत मन से, आगे-पीछे का सोच कर ही आगे बढ़ना चाहिए। एकदम अंधानुकरण करने के बजाय दिमाग को थोड़ा शांत रख कर चलना चाहिए। जहां तक हो सके अच्छे विचार करना, अच्छा पढ़ना, अच्छा ग्रहण करना, मेडिटेशन करना, दूसरे की तकलीफों के बारे में समझना, ऐसा सब करने से मन हिंसक प्रवृत्ति की ओर कम जाता है और इससे मेच्योरिटी भी आती है।
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