कहां गई देशभक्ति की भावना ?

सुनील कुमार माथुर
बचपन में दादाजी व दादी जी
हमें खाली समय में देशभक्ति की
कहानियां सुनाया करते थे
आदर्श संस्कारों व संस्कृति की
सीख दिया करते थे और
गलती करने पर सजा दिया करते थे लेकिन
आज संयुक्त परिवार खंडित हो रहें है और
दादा – दादी का सर्वत्र अभाव नजर आ रहा है
बडे – बुजुर्गों के अभाव में
आज की युवापीढ़ी संस्कार विहिन हो रही हैं
देशभक्ति की भावना खत्म हो रही हैं
दैश में आज चारों ओर भ्रष्टाचार , बेईमानी ,
हेराफेरी , लूटपाट , नफरत – घृणा , ईर्ष्या ,
राग – द्वेष के बीज बोये जा रहें है
देश भक्ति से ओतप्रोत की भावना
सर्वत्र खत्म हो रही हैं और
हर कोई अपने स्वार्थ की खातिर
दूसरों के हितों की अनदेखी कर रहें है
अपने ही अपनों को नुकसान पहुंचा रहें है
अमर शहीदों के त्याग व बलिदान का
पाठ पढाने वालें आज कोई नहीं है चूंकि
पाठ्यक्रमों से अमर शहीदों के त्याग व
बलिदान से संबंधित पाठों को हटा दिया गया
नैतिक शिक्षा व शारीरिक श्रम के
तमाम पाठों को हटा दिया गया हैं
कहां गई देशभक्ति की भावना
कहां गये आजादी के दीवाने
क्यों उन्हें भुलाया जा रहा हैं
क्या होगा इस देश का हाल ?
कहां गई देशभक्ति की भावना
कोई नहीं जानता हैं चूंकि
हर कोई अपने स्वार्थ में अंधा हैं और
देशभक्ति की भावना की अनदेखी कर रहा हैं
क्या ऐसे होता हैं लोकतंत्र मजबूत
जहां जनता-जनार्दन की पीडा को
समझने की किसी के पास समय नहीं है
बडा ताज्जुब तब होता हैं जब
जनता के पत्रों व समस्याओं का
हमारे अधिकारीगण आधे अधूरे जवाब देते हैं और
समस्याओं को लटकाये रखते हैं
क्या यहीं लोक कल्याणकारी
सरकार की निशानी है?
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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