साहित्य लहर
जनाब यही तो जिंदगी है…
संजना
11वीं कक्षा की छात्रा, कांगड़ा /हिमाचल प्रदेश
कभी हँसाती है तो
कभी रुलाती है।
यह जिंदगी
समझ नहीं आती है?
कभी खुशियां है तो
कभी गम है ।
यह जिंदगी भी
किसी खेल से
कहां कम है।
कभी दोस्त हैं तो
कभी दुश्मन है ।
तो जिंदगी में
कही ग़म है तो
कही हम है।
कभी दिल की धड़कन है तो ,
कभी दिमाग की सोच है,
जनाब यही तो जिंदगी है।
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