उत्तराखंड : 41 के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र की धारा
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक के मामले में 22 जुलाई को रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।
देहरादून। पेपर लीक मामले की विवेचना कर रहे जांच अधिकारी को तीन महीने बाद आपराधिक षड्यंत्र की याद आई है। अब लगा है कि पेपर लीक कराना एक षड्यंत्र का हिस्सा था। कोर्ट की मंजूरी के बाद मुकदमे में सभी 41 आरोपियों पर अब आपराधिक षड्यंत्र की धारा (120 बी) भी जुड़ गई है। कानून के जानकारों का कहना है कि इससे मुकदमे को मजबूती मिलेगी।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक के मामले में 22 जुलाई को रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसमें धोखाधड़ी, जालसाजी और उत्तर प्रदेश नकल निवारण अधिनियम की धाराएं लगाई गई थीं। सभी के खिलाफ चार्जशीट भी इन्हीं धाराओं में भेजी गई। लेकिन, इस बीच चार आरोपी जमानत पा गए। पता चला कि एसटीएफ इनके पास से कोई भी रिकवरी नहीं दिखा पाई थी। इस मामले में एसटीएफ पर कमजोर पैरवी के आरोप भी लग रहे थे।
करीब तीन महीने बाद एसटीएफ के विवेचना अधिकारी को याद आया कि केस में आपराधिक षड्यंत्र की धारा भी होनी चाहिए। इसके चलते पिछले दिनों कोर्ट में प्रार्थनापत्र दाखिल किया गया। सोमवार को ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस पर बहस हुई। कोर्ट की मंजूरी के बाद सभी 41 आरोपियों पर आपराधिक षड्यंत्र की धारा भी जोड़ दी गई है। शासकीय अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने बताया कि इससे केस और मजबूत होगा। इससे सभी आरोपियों के आपस में जुड़ाव को सिद्ध किया जाएगा। ऐसे में उन्हें कड़ी सजा दिलाई जा सकती है।
पिछले दिनों एसटीएफ ने सभी आरोपियों पर आईपीसी की धारा-409 (विश्वास का आपराधिक हनन) जोड़ने के लिए भी प्रार्थनापत्र दिया था। कोर्ट ने केवल आरएमएस कंपनी के मालिक राजेश चौहान और चार कर्मचारियों पर यह धारा लगाने की मंजूरी दी थी। पुलिस ने तर्क दिया था कि कंपनी पर विश्वास करने के बाद उसे परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन, कंपनी के मालिक और कर्मचारियों ने विश्वास का आपराधिक हनन किया और अनुचित लाभ कमाया। इस धारा के तहत 10 साल की सजा का प्रावधान है।