
- अरुषि निशंक: उत्तराखंड बनेगा फिल्म हब
- गोवा फिल्म महोत्सव में उत्तराखंड की आवाज़
- इम्पैक्ट प्रोड्यूसिंग पर बोलीं अरुषि
- स्थानीय प्रतिभाओं को मंच देने की अपील
- फिल्मों से बदलेगी प्रदेश की पहचान
गोवा | 55वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, गोवा में उत्तराखंड की प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता अरुषि निशंक ने अपने संबोधन में राज्य की उभरती फिल्म संभावनाओं को बेहद मजबूती के साथ प्रस्तुत किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड न केवल फिल्म निर्माताओं का पसंदीदा गंतव्य बनेगा, बल्कि देश के महत्वपूर्ण फिल्म निर्माण केंद्रों में भी अपनी जगह बनाएगा। उनके अनुसार, फिल्में केवल मनोरंजन भर नहीं हैं, बल्कि समाज के विचार-विमर्श, दिशा और चेतना को प्रभावित करने वाली एक प्रभावशाली कला है, जो किसी भी क्षेत्र की पहचान और विकास में बड़ा योगदान देती है।
अरुषि निशंक ने इस बात पर गहरा जोर दिया कि सिनेमा समाज की सोच और युवा पीढ़ी की चेतना को आकार देने की अद्भुत शक्ति रखता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की धरती कहानियों, लोकगीतों, लोककथाओं, संस्कृति और परंपराओं की बेमिसाल धरोहर से भरी हुई है, लेकिन इन कहानियों का बड़े स्तर पर फिल्मी अभिव्यक्ति के माध्यम से प्रसार अभी बहुत कम हुआ है। उनके अनुसार, पहाड़ों, घाटियों, छोटे शहरों और गाँवों में अनगिनत ऐसी कथाएँ और चरित्र मौजूद हैं जिन्हें मुख्यधारा के सिनेमा में स्थान मिलने पर न केवल क्षेत्र की पहचान मजबूत होगी, बल्कि उत्तराखंड का एक नया सांस्कृतिक परिदृश्य भी दुनिया के सामने आएगा।
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अपने विचारों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने से स्थानीय प्रतिभाओं को बड़ा मंच मिलेगा। प्रदेश के युवा कलाकार, लेखक, निर्देशक, फोटोग्राफर और तकनीशियन अक्सर अवसरों की तलाश में महानगरों का रुख करते हैं, लेकिन यदि राज्य में ही पर्याप्त फिल्म सुविधाएँ, प्रशिक्षण और अवसर उपलब्ध हों तो यह पलायन घटेगा और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ी जिलों में फिल्मांकन को प्रोत्साहित करने से पर्यटन, आतिथ्य और स्थानीय व्यापार में तेजी आएगी, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार भी सृजित होंगे।
अरुषि निशंक ने इम्पैक्ट प्रोड्यूसिंग के संदर्भ में कहा कि आज का सिनेमा केवल दृश्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक सामाजिक दायित्व भी निभाता है। फिल्मों में यह क्षमता है कि वे न केवल दर्शकों का मनोरंजन करें, बल्कि उन्हें प्रेरित करें, समाज में नई ऊर्जा जगाएँ और सकारात्मक परिवर्तन की नींव रखें। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता को विश्व मंच तक पहुँचाने का पूर्ण सामर्थ्य रखता है, और फिल्म जगत इस उद्देश्य को पूरा करने का सबसे प्रभावी माध्यम बन सकता है।
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने यह संदेश दिया कि यदि उत्तराखंड अपनी कहानियों और सांस्कृतिक समृद्धि को फिल्म माध्यम के जरिए दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है, तो राज्य केवल आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से ही नहीं, बल्कि एक नई आकांक्षा और पहचान के साथ उभरेगा। उनके शब्दों में, “सिनेमा वह शक्ति है जो समाज को बदल सकती है, और उत्तराखंड के पास वह सब कुछ है जिसे दुनिया देखने के लिए उत्सुक है।”





