स्वंय से बडा कोई गुरु नहीं
स्वंय से बडा कोई गुरु नहीं, हमारे जीवन को कंचन की तरह से चमकाना हैं तो फिर हमेशा परोपकारी बने रहे। दयावान बनें। कभी भी किसी का भी नुकसान न करें। ✍️ सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
किसी महापुरुष ने सही कहा हैं कि स्वंय से बडा कोई गुरु नही है। जो इस बात को मानता हैं वहीं जीवन में सदैव सफलता की सीढियां चढ पाता हैं वरना असफल हो जाता हैं चूंकि हमें सदैव अपनी कमियों को अपने आप ढूंढते रहना चाहिए और फिर उन्हें स्वंय ही दूर करना चाहिए। किसी के कहने-सुनने से कोई भी नहीं सुधरता हैं।
जो व्यक्ति समय पर सुधर जाता हैं उसका जीवन सफल हो जाता हैं। हम कभी भी किसी को सुधार नहीं सकते। जब हमारे में ही हजारों अवगुण है तो फिर दूसरों को क्या खाक सुधार पायेंगे।आज देश में हर कोई टेंशन में जीवन व्यतीत कर रहा हैं चूंकि वह कह रहा हैं कि कोई सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा हैं और अपनी ही मनमानी कर रहा है। उसे कौन समझायें कि पहले तुम सुधर जाओ। देश की जनता स्वतः ही सुधर जायेगी।
हमारे जीवन को कंचन की तरह से चमकाना हैं तो फिर हमेशा परोपकारी बने रहे। दयावान बनें। कभी भी किसी का भी नुकसान न करें। ईश्वर का भजन-कीर्तन व कथा करें और सुनें। ईश्वर बडा ही दयालु है। जब उसने इतना सुन्दर जीवन दिया ही हैं तो फिर तेरा मेरा कर समय क्यों बर्बाद करे यही समय ईश्वर की भक्ति में लगाना चाहिए। लेकिन आज इ
व्यक्ति अंहकार व घमंड में जी रहा हैं और वक्त रहते अपना आंकलन नहीं कर पा रहा हैं।
आज का इंसान परोपकार के कार्य तो करता नहीं है और झूठी प्रशंसा पाने में लगा हुआ हैं चूंकि वह अंहकार व घमंड में जी रहा हैं। उसकी समाज व राष्ट्र की सेवा में कोई रूचि नहीं है फिर भी वाह वाही लूटने में लगा रहता हैं। हर वक्त मीडिया में छाये रहना चाहता हैं। यह कैसी विडम्बना है। ईश्वर तो उसी की सहायता करता हैं जो दूसरों कि निस्वार्थ भाव से सेवा करता हैं। जीवन में सदैव सकारात्मक सोच के साथ आगें बढें और ऐसे कार्य करें कि आपके परलोक सिधार जाने के बाद भी लोग आपको याद करे।
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