घोंसला निर्माण की अद्भुत कला होती है गौताई में

प्रवासी पक्षी गौताई मेहमान पक्षी के रूप में भी जानी जाती है...

भुवन बिष्ट

रानीखेत। उन्मुक्त गगन में पक्षी उड़कर एक देश से दूसरे देश तक पहुंच जाती हैं। हमारे चारों ओर पक्षियों का अनोखा संसार हमें देखने को मिलता है तथा पक्षियों के चहचहाट,खुले आसमान में उड़ते पक्षी शुद्ध पर्यावरण की निशानी हैं। गर्मियों के मौसम में प्रवासी पक्षीयों का झुंड मेहमान पक्षी के रूप गौताई पक्षी का भी आगमन होता है। मार्च से जुलाई तक यह पक्षी यहां निवास करती है। गौताई पक्षी कई रंगो में देखने को मिलते हैं।

प्रवासी पक्षी गौताई के शरीर का ऊपरी हिस्सा कुछ नीलापन और चमकीला काला होता है तथा सिर के बगल का हिस्सा भूरा और गले के चारो और कत्थई पट्टी होती है और पीठ के निचे एक सफेद चौड़ी धारी भी होती है। गौताई को अबाबील,स्वेफ्ट पक्षी के नाम से भी जाना जाता है। गौताई पक्षी को अलग अलग भागों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र कुमाऊं में इसे गौताई, धनपुतई,धनचिड़ी के नाम से भी जाना जाता है।

इस पक्षी में घोंसला निर्माण की कला एक विशेष प्रकार की होती है। गौताई पक्षी घोंसले को सुंदर एंव आकर्षक ढंग से बनाने की अद्भुत कला में निपुण होती हैं। यह पक्षी अपने चोंच में गीली मिट्टी लाकर सुंदर ढंग से अपने घोंसले का निर्माण करती है। यह पक्षी नर मादा के जोड़े के रूप में रहती है किन्तु ये झुंड के साथ ही विचरण करती हैं। अबाबील, धनचिड़ी, धनपुतई नाम से जानी जाने वाली गौताई पक्षी उड़ने में इतने माहिर होते हैं की उड़ते वक्त भी ये पक्षी अपनी चोंच से हवा में रहते किट पतंगों को भी पकड़ लेते हैं।

यह पक्षी हवा में ही अधिकांशतः अपना भोजन चुगती है। ये पक्षी सामान्यतः जमीन पर नहीं बैठती अपितु तारों,पेड़ो की टहनियों पर ही बैठती हैं। गौताई पक्षी अपना भोजन हवा में उड़ते कीट पतंगों को पकड़कर ही करते हैं। इन पक्षियों की उड़ने की गति बहुत तीव्र होती है। मेहमान पक्षी, प्रवासी पक्षी प्रवास के दौरान एक दिन में लगभग 300 किलोमीटर तक भी उड़ सकते हैं।अपने तीव्र उड़ने की क्षमता के कारण ही यह विदेशों तक सफर करती हैं।

यह पक्षी आकार में छोटी होती है। इस पक्षी का वजन करीब 20 ग्राम से लेकर 25 ग्राम तक होता है और उसका आकार 19 से 22 सेंटीमीटर के आसपास होता है। इस पक्षी के उड़ने की रफ्तार लगभग 55 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। लोकधारणाओं के अनुसार प्रवासी पक्षी गौताई के आगमन तथा घरों,व्यापारिक प्रतिष्ठानों में घोंसला निर्माण को लोग शुभ मानते हैं।

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र कुमाऊं में इसे गौताई, धनपुतई, धनचिड़ी के नाम से भी जाना जाता है। प्रवासी, मेहमान पक्षी गौताई में घोंसला निर्माण की कला एक विशेष प्रकार की होती है। गौताई पक्षी घोंसले को सुंदर एंव आकर्षक ढंग से बनाने की कला में निपुण होती हैं। यह पक्षी अपने चोंच में गीली मिट्टी लाकर सुंदर ढंग से अपने घोंसले का निर्माण करती है।

¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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भुवन बिष्ट

लेखक एवं कवि

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रानीखेत (उत्तराखंड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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