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भक्ति का दिया

सुनील कुमार माथुर

मन की अदालत सबसे बडी अदालत हैं और मन की गवाही सबसे बडी गवाही हैं । अतः व्यक्ति को वही रचनात्मक कार्य करना चाहिए जो उसका मन कहता हैं । हमें प्रभु की भक्ति निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए । हम जब ईश्वर के नाम का स्मरण कर अपना कारोबार , काम धंधा करते हैं तब फिर हमें जीवन में बेईमानी नहीं करनी चाहिए । अपितु ईश्वर की भक्ति का दिया सदैव जलता रहना चाहिए । चूंकि भक्ति में ही शक्ति हैं।

मन में सभी के प्रति दया , करूणा , ममता , वात्सल्य , स्नेह व भाईचारे की भावना का भाव रखना चाहिए न कि नफरत का भाव । नफरत एवं बदले की भावना एवं बदले की आग समूचे जीवन को बर्बाद कर देती हैं । अतः बदले की भावना से सदैव दूर रहें । हमेशा सत्य के मार्ग पर चले और अपने लक्ष्य की ओर बढें ।

किसी पर भी बिना वजह शक न करें और न ही किसी को नीचे दिखाने का प्रयास करें चूंकि जो दूसरों के लिए खाई खोदता हैं वही सबसे पहलें उसमें गिरता हैं । ज्ञान अर्जित करने की कोई उम्र नहीं होती हैं । इंसान जीवन में हर रोज कुछ न कुछ नया सीखते ही रहता हैं और सीखते भी रहना चाहिए ।

ईश्वर को पाने के लिए किसी तीर्थ स्थल पर जानें की जरूरत नहीं है अपितु घर पर रहकर भी अपने वृध्द माता – पिता , दादा – दादी व वृध्दजनों कि निस्वार्थ भाव से सेवा कर के हम तीर्थ जितना पुण्य कमा सकते हैं । ईश्वर कभी भी किसी के साथ छल कपट नहीं खरता हैं तो फिर इंसान दूसरों के साथ छल कपट करके दूसरों के अरमानों पर पानी क्यों फेर रहा हैं सभी दिन एक जैसे नहीं होते है ।

जीवन में सदैव लेना ही लेना नहीं होना चाहिए अपितु कभी देना भी सीखो । ताली दोनों हाथों से बजती हैं तो फिर हम केवल अपने लाभ के लिए ही क्यों सोचते हैं । सबके लाभ और कल्याण के लिए सोचना चाहिए और पूजा पाठ करनी चाहिए । ईश्वर की भक्ति व सेवा में सबका कल्याण का भाव निहित होना चाहिए न कि स्वार्थ का भाव ।

हमेशा अच्छा खाओ , अच्छा सोचें और अच्छा बोलों । यही आदर्श जीवन का मूल मंत्र है । कहा भी जाता हैं कि जैसा खाओगे अन्न वैसा ही होगा मन । अतः जीवन में मांसाहारी न बने अपितु शाकाहारी बनें।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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