साहित्य लहर
नासमझ ने मारा और नादान मरा है
डॉ एम डी सिंह
धर्म मरा है मुकम्मल ईमान मरा है.
यह मत कहना बेबस इंसान मरा है.
लड़ें ना वे सब कह दो जाके सबसे
नासमझ ने मारा नादान मरा है.
मर गया मारा गया दोनों एक थे
असल तो बस देश का सम्मान मरा है.
मजहब के ठिकेदारों रुको देख लो
जस्सी जोजफ जमुना जीशान मरा है.
जिससे अभी भी लड़ रहे सभी आका
जिंदा है अब तक ना शैतान मरा है.
धर्म मरा है मुकम्मल ईमान मरा है.
यह मत कहना बेबस इंसान मरा है.
लड़ें ना वे सब कह दो जाके सबसे
नासमझ ने मारा नादान मरा है.
मर गया मारा गया दोनों एक थे
असल तो बस देश का सम्मान मरा है.
मजहब के ठिकेदारों रुको देख लो
जस्सी जोजफ जमुना जीशान मरा है.
जिससे अभी भी लड़ रहे सभी आका
जिंदा है अब तक ना शैतान मरा है.
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »डॉ. एम.डी. सिंहलेखक एवं कविAddress »महाराज गंज, गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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