भारत की भूमि तपोभूमि
सुनील कुमार माथुर
आज की इस भागदौड भरी जिंदगी में इंसान पगला सा गया है । उसका जिस सेवाभाव के लिए जन्म हुआ है उसे भूलकर वह इस नश्वर संसार की दुनियादारी के दलदल में फंस गया । अतः इंसान को चाहिए कि वह सुचारु रुप से ईश्वर की भक्ति करे और अपने आपको ईश्वर को समर्पित कर निश्चित हो जाये, फिर आपको किसी भी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं हैं । फिर जो कुछ भी करना है वह भगवान को ही करना है।
जो छोटा बनकर समाज की निस्वार्थ भाव से सेवा करता हैं उसकों समाज स्वतः ही बडा आदमी समझने लगता हैं । हमें जो मान सम्मान और प्रतिष्ठा मिली हैं वह समाज ने ही तो दी हैं । हम तो एक निमित मात्र हैं । अतः जीवन में नम्रता और विनम्रता को अपनायें और इसी के साथ जीवन व्यतीत करें।
किसी संत ने बहुत ही अच्छी बात कहीं है कि अंधेरे में मोमबत्ती और मुसीबत में उम्मीद जिंदगी में बहुत काम आते हैं । हर पेड फल दे यह जरुरी नहीं हैं । किसी पेड की छाया भी बहुत सुकून देती है । भारत की भूमि तपोभूमि हैं । यही वजह हैं कि इस भूमि पर भगवान अवतार लेते है । यह भूमि वीरों की भूमि हैं , ऋषि-मुनियों की भूमि हैं , धर्मप्रेमियों की भूमि हैं । दीन दुखियों कि निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले परोपकारी लोगों की भूमि हैं।
यह साधु संतों और तपस्वियों की भूमि हैं जिस पर हर भारतवासी को गर्व है । अतः व्यक्ति को चाहिए कि वह हर समय धन दौलत के पीछे न दौडे बल्कि कुछ समय निकाल कर पूजा पाठ करें , भजन कीर्तन करें और ईश्वर की भक्ति में ध्यान लगाकर अपना यह लोक व परलोक दोनों को सुधार लें । कहीं ऐसा न हो कि अंत समय ईश्वर का नाम लेना चाहे और वह हमारी जुबान पर ही न आये । इसलिए अभी भी वक्त हैं कि ईश्वर की भक्ति में लग जायें।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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