साहित्य लहर
स्यां घसेरी बोलि नी ग्ये
राजेश ध्यानी ‘सागर’
स्यां घसेरी बोलि नी ग्यें
शांनि कै ग्ये आंख्यू ना
भोंल़ ओंल़ घास ली जोलू
दथुणीं राल़ी हाथ मा
स्यां घसेंरी…
ज़ुनखां सियां छन भीज़ी गात मा
लटुल़ी गल़ोड्यौ पाणीं च पींणी
उठड्यूं मा पिडंल़ू सी पाणीं थम्यूं चा
आंख्यूं म सुपन्यों डार च दिखणीं
स्यां घसेंरी…
भोंल़ कनैं ज़ोल़ु घास कटण
हैंरणीं च सज मा बिठकी बिसैं की
गोंर भी आदां तै घास चरण
सोचणीं च हथ मा मुखड़ी बिसैं की
स्यां घसेंरी….
ए कुयेंणीं घनघौंर ए जै
गिचिं ना सरग तू थामि दे
दतुडीं मेरी सों भूल़ि ना जैं
छुणछुण ना कैंरी भामि जे
स्यां घसेंरी…
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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