लघुकथा : नया सवेरा
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
वह सोने का प्रयास कर रहा था, परंतु नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी । उसकी बेचैनी उसके हृदय में घबराहट का उफान मार रही थी । उसका रक्तचाप लगातार बढ़-घट रहा था । उसे अनहोनी की आशंका हुई, लगा कि हार्ट अटैक आने वाला है । और वह आंखें मूंद एक ओर लुढ़क गया…।
बेहोशी से बाहर निकला तो पाया कि पत्नी उसे हाथ का पंखा झल रही है और सीने पर मालिश भी साथ-साथ कर रही है । पत्नी का मुस्कराता चेहरा उसे दिखा, अब वह शांत था एकदम ।
‘तुम पुरानी बातें भूल क्यों नहीं जाते, उसने सिर्फ हमारे चंद रुपए ही तो खाए हैं । हमारी किस्मत हमारे पास है, जो वर्तमान में हमारे पास बचा है, हम उसी में गुजारा कर लेंगे । जो बीत चुका है वह वापस कभी नहीं आएगा, वह खोई हुई संपदा है । उसे भूल जाओ ।’
पत्नी की बातें सुनकर उसे एक नई ऊर्जा का एहसास हुआ । उसका मन बहुत ही हल्का हो गया । उसकी चिंता हवा हो गई । वह उठ बैठा और उसने दृढ़ संकल्प कर लिया । पुरानी बातें भूल जायेगा, मेहनत करेगा और ईश्वर में अटूट विश्वास रखेगा ।
समय आने पर नियति उसकी समस्याओं का हल उसे खुद -ब- खुद दे देगी । जब जीने का कोई विकल्प शेष न बचे तो सारा भार ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए …। निश्चित ही एक नया सवेरा होगा ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मुकेश कुमार ऋषि वर्मालेखक एवं कविAddress »ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9876777233Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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