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साहित्य लहर

लघु कथा: मुंह दिखाई

लघु कथा: मुंह दिखाई, वंदना के इतना कहते ही जानकी चाची चौंक कर बोली अरे क्या दे दिया तेरे सास-ससुर ने जरा मुझे भी तो पता चले। वंदना मुस्कुरा कर बोली चाची मां-बाप के लिए… बहराइच, उत्तर प्रदेश से सुनील कुमार की कलम से…

शादी के बाद पहली बार ससुराल आई वंदना को अभी एक महीना भी नहीं हुआ था,लेकिन इतने कम समय में वंदना ने अपने कार्य व्यवहार से परिवार के सभी सदस्यों का दिल जीत लिया था।रोज सुबह सबसे पहले उठना और रात में सब काम खत्म करके सबसे बाद में सोना उसकी दिनचर्या में शामिल था।

वंदना घर के छोटे-बड़े सभी लोगों की पसंद-नापसंद का पूरा ख्याल रखती थी। सुनील की नन्हीं सी भतीजी परी तो वंदना से इस तरह घुल मिल गई थी की उसके बिना एक पल रह ही नहीं सकती थी। दिनभर चाची-चाची की रट लगाए वंदना के आगे-पीछे बनी रहती थी। वंदना भी परी को बहुत प्यार करती थी। परिवार के सभी लोग वंदना को बहू नहीं बल्कि अपनी बेटी की तरह मानने लगे थे। एक अनजान से घर में अजनबी लोगों के बीच इतनी जल्दी सबके दिलों में जगह बना लेना कोई आसान काम नही था,पर ये वंदना के संस्कार ही थे जो उसे सबका प्रिय बनाए थे।

वंदना का इस तरह दिन भर चहकना परिवार के लोगों से प्यार से बातें करना पड़ोस की जानकी चाची को रास नहीं आ रहा था। वह वंदना के हंसते-खेलते परिवार में फूट के बीज बोने का मौका ही ढूंढ रही थी। एक दिन दोपहर के समय जब वंदना के सास-ससुर और परिवार के अन्य सभी लोग कहीं बाहर गए हुए थे तभी जानकी चाची वंदना से मिलने के बहाने उसके घर जा पहुंची। जानकी चाची को देखते ही वंदना ने उनके पैर छुएऔर उन्हें सम्मान पूर्वक घर के अंदर ले गयी।

जानकी चाची को सोफे पर बैठाकर वंदना चाय-नाश्ते का इंतजाम करने लगी। थोड़ी देर बाद जब वंदना चाय-नाश्ता लेकर वापस आई तो जानकी चाची बोली अरे बेटा तुम बेकार में परेशान हो रही हो मैं तो बस तुमसे मिलने आई हूं।काफी देर इधर-उधर की बातें करने के बाद जानकी चाची बोली अरे बेटी तूने बताया नहीं तेरे सास-ससुर ने तुझे मुंह दिखाई में क्या दिया। जानकी चाची की बातें सुनकर वंदना बोली अरे चाची मेरे सास-ससुर ने तो मुझे अपना सब कुछ दे दिया।

वंदना के इतना कहते ही जानकी चाची चौंक कर बोली अरे क्या दे दिया तेरे सास-ससुर ने जरा मुझे भी तो पता चले। वंदना मुस्कुरा कर बोली चाची मां-बाप के लिए उसकी औलाद से बढ़कर क्या कुछ होता है,जब मेरे सास-ससुर ने मुझे अपना बेटा ही सौंप दिया तो अब उनसे और किस चीज की लालसा करूं।पति के रूप में अपना बेटा देकर मुझे सब कुछ तो दे दिया मेरे सास-ससुर ने।वंदना के मुंह से ऐसी बातें सुनकर जानकी चाची का मुंह बंद हो गया।

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