लघुकथा : सहयोग
रजनीकांत के बोलने से पहले ही वे कहने लगे, “भाई, बड़े नसीब वाले हो, जो यह गाड़ी तुझे मिल गई। यह सुपरफास्ट ट्रेन है। यहां यह नहीं रुकती।
वीरेंद्र बहादुर सिंह
रजनीकांत पहली बार सुपरफास्ट ट्रेन में बैठा था। उसने बगल बैठी सवारी से कहा, “भाई गाजियाबाद आए तो बताना, मुझे वहां उतरना है।” बगल बैठी सवारी ने कहा, “भाई, यह गाड़ी सुपरफास्ट है। यह गाजियाबाद में नहीं रुकती।” रजनीकांत घबरा गया। तब उस सवारी ने कहा, ” घबराओ मत।गाजियाबाद में यह ट्रेन काफी स्लो हो जाती है। जैसे ही ट्रेन स्लो हो, तुम ट्रेन से उतर जाना और प्लेटफॉर्म पर ट्रेन जिस दिशा में जा रही है, उसी दिशा में थोड़ी दूर तक दौड़ते रहना। जिससे तुम गिरो न।”
गाजियाबाद आने से पहले ही उस सवारी ने रजनीकांत को गेट पर ला कर खड़ा कर दिया। गाजियाबाद आते ही जैसे ही ट्रेन स्लो हुई, रजनीकांत उस सवारी के कहे अनुसार प्लेटफार्म पर कूदा और इस तरह तेजी से दौड़ा कि अगले कोच के दरवाजे तक जा पहुँचा। उस कोच के दरवाजे पर खड़ी सवारियों ने उसका हाथ पकड़ कर खींच कर फिर से ट्रेन में चढ़ा लिया।
वह कुछ कहता या करता, ट्रेन गति पकड़ चुकी थी। रजनीकांत के बोलने से पहले ही वे कहने लगे, “भाई, बड़े नसीब वाले हो, जो यह गाड़ी तुझे मिल गई। यह सुपरफास्ट ट्रेन है। यहां यह नहीं रुकती।” रजनीकांत उन सवारियों के इस सहयोग पर रोए या हंसे, उसकी समझ में नहीं आ रहा था।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »वीरेंद्र बहादुर सिंहलेखक एवं कविAddress »जेड-436-ए, सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उत्तर प्रदेश) | मो : 8368681336Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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