अटूट आस्था का केन्द्र है शिवधाम महाकुलेश्वर मंदिर
भुवन बिष्ट, (देवभूमि समाचार) रानीखेत
रानीखेत। देवभूमि उत्तराखंड अपनी संस्कृति सभ्यता व परंपराओं के लिए विश्वविख्यात है। देवभूमि उत्तराखंड के कण कण में विराजते हैं देव। सदैव देवों की तपोभूमि रही है देवभूमि उत्तराखंड। अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए सदैव विश्व विख्यात रही देवभूमि उत्तराखंड में सदैव होता है अटूट आस्था का संगम। शिवालय से तात्पर्य शिव का आलय यानी शिव का घर है।
शिव का तो हर जगह घर है कण कण में विराजमान है उनके इतने रूप है कि हर स्थान में वह सुशोभित हैं। ताड़ीखेत विकासखण्ड के रानीखेत बद्रीनाथ मार्ग पर चौकुनी क्षेत्र में स्थित है महाकुलेश्वर मंदिर। इस शिव मंदिर में क्षेत्र के लोगों की अटूट आस्था बनी हुई है। विकास खण्ड ताड़ीखेत के गाँव मौना, चौकुनी, बनोलिया, म्वाण, नावली, चमना आदि अनेक गाँवों के लोगों की महाकुलेश्वर मंदिर में अटूट आस्था बनी हुई है।
श्रावण मास में तो मंदिर में जलाभिषेक करने वाले भक्तों की भीड़ लगी रहती है वहीं महाशिवरात्री हो, पौष माह हो अथवा सोमवार को भी क्षेत्र के भक्तों की भीड़ लगी रहती है। द्रविड़ शैली में निर्मित ये मंदिर परिसर में शिवजी का मंदिर जिसमें शिवलिंग स्थापित है जिसे मुख्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है
जिसमें भक्तगण जलाभिषेक करके चंदन तिलक बेलपत्र आदि से महादेव की पूजा अर्चना करते हैं तथा अपनी अपनी मनोकामना के लिए भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करते हैं तथा दूसरी ओर भैरव मंदिर स्थापित है जिसमें आने वाले श्रद्धालु जलाभिषेक पूजा अर्चना करते हैं तथा मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भैरव देव को खिचड़ी भी चढ़ाते हैं। मुख्य मंदिर के बाहर भोलेनाथ की सवारी नंदी की प्रतिमा भी बनी हुई है जिसकी पूजा अर्चना भी आने वाले भक्तों द्वारा की जाती है।
मंदिर परिसर में ही पीपल का वृक्ष भी मुख्य मंदिर परिसर से लगा हुआ है जिसे भक्तगण शिवजी का अंश मानते हुए उसकी भी पूजा अर्चना करते हैं। महाकुलेश्वर मंदिर में अब जीर्णोद्वार करके कुछ नये मंदिरों का निर्माण करके मंदिर परिसर को और सुंदर आकार प्रदान किया गया है। मंदिर परिसर में ही क्षेत्र के लोगों द्वारा श्रमदान व आपसी मेलजोल से एक भव्य धर्मशाला का भी निर्माण करवाया गया था जिसमें मंदिर परिसर में रहने वाले महाराज जी(बाबाजी) भी निवास करते हैं।
मंदिर परिसर में ही एक पुरानी जीर्णशीर्ण छोटी पथिक धर्मशाला भी है मान्यता है कि इसमें कभी मंदिर की सेवा अथवा पूजा करने वाले सेवादार अथवा पथिक निवास किया करते थे। मौना गाँव क्षेत्र से बहने वाली छोटी नदी (गधेरा) मौन्याल नदी के किनारे स्थित महाकुलेश्वर मंदिर में लोगों की गहरी आस्था रहती है।
महाशिवरात्री हो अथवा पौष मास या श्रावण मास पर मौना, चौकुनी, कलौना, बनोलिया, नावली, म्वाण, चमना आदि गाँवों के लोंगों की जलाभिषेक के लिए सुबह से ही भीड़ लग जाती है। माना जाता है कि क्षेत्र के लोग महादेव को अपने कुलदेवता के रूप में मानने के कारण इस शिवालय मंदिर का नाम महाकुलेश्वर पड़ा। लोगों की अटूट आस्था इस मंदिर में बनी हुई है। देवभूमि में कण कण में देव विराजते हैं और होता है आस्था का संगम।
इन गाँवों की अटूट आस्था है महाकुलेश्वर पर
ताड़ीखेत विकासखण्ड के रानीखेत बद्रीनाथ मार्ग पर चौकुनी क्षेत्र में स्थित है महाकुलेश्वर मंदिर। इस शिव मंदिर में क्षेत्र के लोगों की अटूट आस्था बनी हुई है। विकास खण्ड ताड़ीखेत के गाँव मौना, चौकुनी, बनोलिया, म्वाण, नावली, चमना आदि अनेक गाँवों के लोगों की महाकुलेश्वर मंदिर में अटूट आस्था बनी हुई है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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