बिखरना और निखरना

बिखरना और निखरना… वक्त कभी भी किसी का इन्तजार नहीं करता हैं। जो वक्त के साथ चलता हैं वहीं सफल होता हैं। अतः वक्त को बेकार की बातों में बर्बाद मत कीजिए। अपितु उसका अधिकाधिक सदुपयोग कीजिए। किसी के साथ हम वक्त को भूल जाते हैं और कोई वक्त के साथ हमें भूल जाता हैं। वक्त की इज्जत करना सिखिये। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
परमात्मा ने इंसान को एक ही माटी से बनाया हैं फिर भी इंसान – इंसान में फर्क नजर आ रहा हैं। लोग कहते हैं कि एक हाथ की पांचों अंगुलियां बराबर नहीं है तब फिर इंसान कैसे एक सा होगा। परमात्मा ने जब इंसान को बनाया तब उसने उसमें कोई भेदभाव नहीं किया। उसके लिए तो अब भी सभी इंसान समान हैं। लेकिन इस धरती पर जन्म लेने के बाद इंसान जैसे-जैसे बडा होता गया, वैसे ही वैसे उसमें अंहकार, घमंड बढता ही गया और इसी अंहकार ने उसे समय के अनुसार सबक सिखाने का प्रयास किया लेकिन अंहकारी मनुष्य ने अपने अंहकार व घमंड में चूर होकर सभी की अनदेखी करता चला गया। यहां तक कि परमात्मा तक को वह भूल गया।
वहीं दूसरी ओर जो व्यक्ति अपने, अपने परिजनों, अड़ोस-पड़ोस, समाज व राष्ट्र के प्रति पूरी तरह समर्पित रहा। वह दिनों दिन अपने प्रगति के पथ की ओर बढता ही गया। उसने अपने परिवारजनों के साथ ही साथ दीन दुखियों व पीड़ित मानवता की सेवा की। समर्पित भाव से पशु पक्षियों की सेवा की वे जन जन की आंखों के तारे बन गये। कहने का तात्पर्य यह है कि जो अंहकार व घमंड करता हैं वह हमेंशा बिखरता हैं। टूटता हैं। कमजोर होता जाता हैं और समाज की नजरों से वह गिर जाता हैं। जो इस तरह से बिखरता हैं वह कभी प्रगति नहीं कर सकता। वहीं दूसरी ओर जो समर्पित भाव से कार्य करता हैं, वहीं जीवन में निखरता हैं।
सही व गलत : इंसान को अपने कार्य के प्रति सदैव सजग व तत्पर रहना चाहिए और अपने काम को पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ समय पर सम्पादित करना चाहिए। आपकी अपने कार्य के प्रति निष्ठा व समर्पण ही एक तरह की पूजा हैं जो समय पर काम करता हैं उन्नति उसी के चरणों को छूती हैं। याद रखिए हमें यह मानव जीवन लोगों की सेवा करने व परोपकार के कार्य करने के लिए ही मिला हैं। इसलिए अपने दैनिक जीवन के कार्य करते हुए व्यक्ति को कुछ समय इसकी भक्ति के लिए भी निकालना चाहिए। इस नश्वर संसार में कोई भी कार्य छोटा बडा नहीं है। इसलिए यह सोच कर कभी भी कार्य न करें कि यह छोटा है और यह बडा। अपितु यह देखें कि कौन सा काम सही हैं और कौन सा काम गलत हैं। हमें धन के लालच में या भौतिक सुख सुविधाओं के चक्कर में पड कर कभी भी कोई गलत कार्य न करें। जब भी कोई कार्य करे तब यह देखकर करें कि वह गलत कार्य नहीं होना चाहिए। अन्यथा फिर जीवन भर पछतावें के अलावा कुछ भी नहीं है।
संगठित होकर रहें : वर्तमान समय में संगठित होकर रहना नितांत आवश्यक है। चूंकि इस दौर में ऐसे लोगों की कोई भी कमी नहीं है जो आपकों संगठित होने से पहलें ही बिखेर दें। यह दुनियां मतलब कि दुनियां हैं। इसलिए हर किसी पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करें। हम पुराने दौर को देखें तो पता चलता है कि लोग किस प्रकार एक होकर रहते थे और अपने सभी काम काज बिना किसी बाधा के आसानी से कर लेते थे। चूंकि संगठन में ही एकता व मजबूती होती हैं। अगर आप संगठित होकर रहते हैं। बिना राग ध्देष, अंहकार, घमंड, के रहते हैं तो सभी लोग आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले हैं। लेकिन जहां आपने तनिक भी अपनी होशियारी दिखाई या चालाकी की तो यही सहयोगी बिखर कर आपकों कांच की तरह चकना चूर कर देंगे, फिर मत कहना कि यह क्या हो गया, कैसे हो गया, मुझे तो पता भी नहीं चला। साथियों अगर आप अपने परिजनों, अड़ोस-पड़ोस, समाज व राष्ट्र जुड कर रहोंगे तो शेर भी घबरायेगें और टूट कर रहेंगे तो कुत्ते भी आपको सतायेंगे। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे रहना चाहतें हैं।
मन की सोच : कहते हैं कि मन की सोच सुन्दर हैं तो सारा संसार सुन्दर हैं। हमारा मन तो ईश्वर का पावन मन्दिर है जहां शान्ति विराजमान हैं। लेकिन यह इंसान पागलों की तरह मन की शांति को बाजारों में, होटलों में व विदेशों में खोज रहा हैं। हम जब भी कोई गलत, अनैतिक कार्य या व्यवहार करते हैं तो हमारा मन उसे न करने के लिए हमें सचेत करता हैं, लेकिन हम अपने निजी स्वार्थ की खातिर उस गलत या अनैतिक कार्य या व्यवहार को कर बैठते हैं और फिर जब हम संकट में फंसते है तब मन ही मन कहते हैं कि उस वक्त मन की बात मान लेते तो आज यह दिन न देखना पडता। मन की सोच हमेंशा सकारात्मक सोच होती हैं। इसलिए वह कभी गलत नहीं हो सकती। गलत तो हमारे कर्म होते हैं और फिर अपने बुरे कर्मों का फल हमें ही भोगना पडता हैं। इसलिए सदैव श्रेष्ठ कर्म करें। श्रेष्ठ साहित्य पढे व श्रेष्ठ साहित्य का सृजन करें। अच्छे लोगों का संग करें और जीवन की बगिया ( मन की सोच ) को सुन्दर बनायें।
खुश रहने का मंत्र : वर्तमान समय में हर कोई दुःखी है। कोई धन दुःखी है तो कोई तन दुःखी हैं। कोई अपनी संतान से दुःखी है तो कोई अपने परिजनों के व्यवहार से दुःखी है। कहने का तात्पर्य यह है कि आज हर कोई दुःखी है। कोई अपनी पीडा दूसरों को सुना कर मन को हल्का कर लेता हैं तो कोई किसी को बताने से डरता है। वह सोचता है कि सुनकर लोग क्या कहेंगे। अरे मेरे भाई, समय के अनुसार चलें और अपने आपको भी अपडेट करते चले, वरना लोग जीने नहीं देंगे। अपनी तुलना कभी भी किसी और से न करें। खुश रहने का बस एक ही मंत्र हैं और वह यह है कि उम्मीद केवल खुद से ही रखों किसी ओर से नहीं।
वक्त : वक्त कभी भी किसी का इन्तजार नहीं करता हैं। जो वक्त के साथ चलता हैं वहीं सफल होता हैं। अतः वक्त को बेकार की बातों में बर्बाद मत कीजिए। अपितु उसका अधिकाधिक सदुपयोग कीजिए। किसी के साथ हम वक्त को भूल जाते हैं और कोई वक्त के साथ हमें भूल जाता हैं। वक्त की इज्जत करना सिखिये। अगर आपने वक्त की इज्जत की तो वक्त आपकों आपकी मंजिल पर अवश्य ही पहुंचायेगा और आपने वक्त की कद्र नहीं की तो वह आपकों ऊपर से भी नीचे गिरा देगा। वक्त हैं तभी तो सब कुछ संभव है वरना कुछ भी संभव नहीं है। इस नश्वर संसार में आये हो तो वक्त का सदुपयोग कर अपने जीवन को खुशहाल बनाएं। आप खुश हैं तो सभी खुश हैं। अतः स्वस्थ रहिए और मस्त रहिए।
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