
मुख्य बिंदु
- बदरीनाथ जा रहे एक ही परिवार के 18 लोगों समेत कुल 20 यात्री दुर्घटनाग्रस्त वाहन में सवार थे
- अलकनंदा नदी के उफनते जल में अब तक 5 शव बरामद
- कीर्तिनगर के पास युवती का शव मिलने से दुखद पुष्टि
- रेस्क्यू अभियान में NDRF, SDRF, जल पुलिस और प्रशासन दिन-रात जुटा
- जिलाधिकारी ने हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए
रुद्रप्रयाग | उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में बीते गुरुवार (26 जून) को घटी एक हृदयविदारक घटना ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित घोलतीर नामक स्थान पर एक यात्री वाहन असंतुलित होकर सीधे अलकनंदा नदी में समा गया। यह वाहन 20 यात्रियों को लेकर बदरीनाथ की तीर्थ यात्रा पर निकला था, जिनमें 18 लोग एक ही परिवार से थे।
दुर्घटना के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई और तुरंत राहत-बचाव कार्य शुरू किया गया। लेकिन नदी का तेज़ बहाव और मटमैला पानी राहतकर्मियों के लिए चुनौती बन गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन: एक और शव मिला, पहचान मौली सोनी के रूप में
शनिवार को रेस्क्यू दल को कीर्तिनगर के समीप नदी में एक युवती का शव मिला, जिसकी शिनाख्त मौली सोनी (उम्र लगभग 22 वर्ष) के रूप में की गई है। इसके साथ ही अब तक इस हादसे में पांच लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। शुक्रवार को भी एक शव बरामद हुआ था, जिसकी पहचान संजय सोनी (55 वर्ष, निवासी उदयपुर) के रूप में हुई थी।
रेस्क्यू अभियान में जुटे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जल पुलिस, फायर ब्रिगेड, डीडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन के लगभग 100 से अधिक कर्मी विभिन्न तकनीकों और संसाधनों के साथ कार्य कर रहे हैं। पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे ने बताया कि “नदी का जलस्तर अधिक होने और उसमें मलबा होने के कारण तलाशी में मुश्किलें आ रही हैं, लेकिन हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं।”
आठ लोग अब भी लापता, श्रीनगर डैम तक तलाशी
प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन की सीमा श्रीनगर डैम तक बढ़ा दी है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी के अनुसार, लापता लोगों की तलाश में लगातार तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। नदी किनारे बसे सभी गांवों और संभावित स्थानों की भी गहन छानबीन की जा रही है।
प्रशासनिक कार्रवाई: मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने दुर्घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। उप जिलाधिकारी याक्षी अरोड़ा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि “जो भी व्यक्ति इस दुर्घटना से संबंधित जानकारी रखता है या प्रत्यक्षदर्शी है, वह आगामी एक सप्ताह के भीतर उप जिलाधिकारी कार्यालय में उपस्थित होकर अपना बयान दे सकता है।”
लापता लोगों के परिवारों का दर्द और राहत की प्रतीक्षा
हादसे के बाद से लापता लोगों के परिवारजनों की हालत बेहद गंभीर है। वे घटनास्थल के आसपास डटे हुए हैं और हर आती सूचना पर उम्मीद और चिंता के बीच झूलते हैं। प्रशासन की ओर से उनके लिए सहायता शिविर लगाए गए हैं, जहां भोजन, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहयोग दिया जा रहा है।
समाज और सरकार से सवाल
इस भीषण दुर्घटना ने एक बार फिर उत्तराखंड के पहाड़ी रास्तों की सुरक्षा, सड़क निर्माण की गुणवत्ता और यात्री वाहनों की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यात्रियों की अधिकता, मौसम की अनिश्चितता और वाहन की स्थिति — सभी की भूमिका इस त्रासदी में जांच के दायरे में हैं।
अब आगे क्या?
हादसे की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने प्राथमिक रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शोक व्यक्त करते हुए रेस्क्यू और राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की अनुग्रह राशि और घायलों के मुफ्त इलाज की घोषणा की गई है।
अंतिम टिप्पणी
इस हृदयविदारक हादसे ने उत्तराखंड की तीर्थ यात्रा व्यवस्था और सड़क सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। अब जरूरत है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बने। राज्य को यह समझना होगा कि ‘देवभूमि’ की पहचान केवल तीर्थस्थलों से नहीं, बल्कि उनके सुरक्षित और संरक्षित मार्गों से भी होती है।