कविता : शिक्षक समाज का सजग प्रहरी
सुनील कुमार माथुर
सीमा पर हमारे जवान
सजग प्रहरी का कार्य कर रहें है
खेतों में अन्न का उत्पादन कर
किसान सजग प्रहरी का कार्य कर रहें है
शिक्षण संस्थानों में शिक्षक
बच्चों को उच्च शिक्षा देकर
सजग प्रहरी का कार्य कर रहें है
शिक्षक स्वंय तप कर ( ज्ञान हासिल कर के )
विधार्थियों में ज्ञान बांट रहें है
इतना ही नहीं वे शिक्षा के पावन मंदिर में
विधार्थियों को शिक्षा देकर
उन्हें ज्ञानवान , संस्कारवान व
चरित्रवान बना रहें है
शिक्षक समाज का सजग प्रहरी हैं
हर रोज बच्चों को पढाकर ( ज्ञान देकर)
उन्हें सजग , जागरूक और
शिक्षित कर रहा हैं
पाठ्यपुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त
नैतिक जीवन की शिक्षा देकर वह
विधार्थियों का भविष्य उज्ज्वल बना रहा है
शिक्षा के पावन मंदिर में रहकर वह
शिक्षा की ज्योत जला रहा है
शिक्षक समाज का सजग प्रहरी हैं
शिक्षकों का मान – सम्मान करना
हर विधार्थी का दायित्व बनता है
जिस शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान में
आदर्श शिक्षक हैं वहीं निष्ठावान ,
संस्कारवान व चरित्रवान विधार्थी हैं
उसी समाज व राष्ट्र की जनता सुखी है
जहां शिक्षक जैसा समाज का सजग प्रहरी हैं
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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