प्रचलित मान्यताओं का ध्वस्त करने वाली कविताएं
अरुण कमल
कवि, पटना
प्रख्यात कवि,अभिनेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता कुमार बिन्दु की कविताओं का एक लम्बे अंतराल पर प्रकाशन एक महती घटना है। आठवें दशक के उत्तरार्ध में अपनी ताज़ा कविताओं से पाठकों को उद्वेलित करने वाले कुमार बिन्दु लगातार लिखते तो रहे पर अपनी सामाजिक राजनैतिक सक्रियता के कारण प्रकाशन के प्रति उदासीन रहे। अब उन कविताओं का एकत्र प्रकाशन पिछले कुछ दशकों के भावात्मक दस्तावेज के रूप में हमारे सामने है।
कुमार बिन्दु की कविताएँ मार्मिक,बेधक और प्रचलित मान्यताओं का ध्वंस करने वाली हैं। कवि बिन्दु केवल चित्रांकन नहीं करते,या केवल भाव-प्रकाश ही नहीं करते बल्कि पाठक को भी सम्पूर्ण प्रवाह में साथ लिए चलते हैं, जो एक विरल कर्म है।
कुमार बिन्दु की स्वाभाविक और सहज प्रतिबद्धता दलितों एवं पिछड़ों के प्रति हैं, जिनके जीवन के कुछ अविस्मरणीय बिम्ब प्रस्तुत करते हुए वे समस्त व्यवस्था और सत्ता को चुनौती देते हैं। इस अर्थ में वे आज के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कवियों में सहज ही गिने जा सकते हैं।
कुमार बिन्दु ने अनेक प्रकार की और अनेक स्वरों की कविताएँ रची हैं, जिनका उद्बोधन हमें भीतर तक तिलमिला देता है। वे बेहद प्रयोगशील और साहसिक कवि हैं। सबसे बड़ी बात यह कि उनकी कविताएँ बिना अवरोध के पढ़ी जा सकती हैं और वे सरलता के साथ साथ बहुस्वरमयता से भी संपन्न हैं।
भोजपुरी की आंतरिक शक्ति से आविष्ट इन कविताओं के साथ बहुत दिनों के बाद हमारे बीच से एक ऐसे कवि का पुनः आगमन हो रहा है, जिसकी कविताएँ नितांत अनूठी और कविकर्म अद्वितीय है ।