साहित्य लहर
कविता : सर्दी आई, सर्दी आई
सुनील कुमार माथुर
सर्दी आई , सर्दी आई
अपने संग कम्बल और रजाई लाई
पंखे कूलर बंद हुए
सर्दी आई , सर्दी आई
अपने संग कम्बल और रजाई लाई
लोगों को धूप सुहाई
गजक , रेवडी , तिल पपड़ी और
मूंगफली खाने के दिन अपने संग लाई
सर्दी आई , सर्दी आई
गर्म कपड़े पहनने के दिन अपने संग लाई
सर्दी आई , सर्दी आई
अपने संग शादियों का सीजन लाई
गर्मा गर्म जलेबी और
हलवा खाने के दिन अपने संग लाई
हर कोई शादियों में गर्मा गर्म
भोजन का लुफ्त उठा रहा है
सर्दी आई , सर्दी आई
अपने संग कम्बल और रजाई लाई
चारों ओर अलगाव लगे है
लोग हाथ तपाकर
सर्दी का आनंद ले रहे है
सर्दी आई , सर्दी आई
अपने संग कम्बल और रजाई लाई
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|
Nice
Nice
Nice
Nice
Nice
Nice