साहित्य लहर
कविता : हम लौट जाएंगे
राजीव कुमार झा
अब गिरफ्तार
उस दिन के बाद
घर पर होगी
जब यहां
आवारों के बारे में
किसी को
कुछ भी कहेगी
रात सुनसान होकर
रोज आती
सबको बाहर
बुलाती
जिंदगी का सफर
शुरू से
सुपुर्दे खाक तक
कितना अधूरा बना
कोई खंजर
आंसुओं से
धुल गया
किसके खून से
सना
मुहब्बत ए जिंदगानी
सपनों का आशियाना
याद आता
शाम का गाना
अंधेरे में सितारे
उगते चले गये
सज गयी
एक बस्ती
उस सुनसान के
करीब आकर
हम लौट जाएंगे
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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