कविता : रामराज्य

राजीव कुमार झा
अयोध्या नगरी में
चतुर्दिक उल्लास
छाया
हर जगह गूंजता
मोद मंगल
बाजा बधावा
तोरणद्वार
दीपमालिकाओं से
सजा नगर सारा
आज सुबह से
पुलकित बहती
सरयू की धारा
राम ने रावण को
मारा
मानवता को
पतन के गर्त से
उबारा
वाल्मीकि ने
रामायण को रचकर
सभ्यता संस्कृति का
सच्चा पाठ
देशवासियों को
पढ़ाया
तारों ने आकाश में
चांद को बुलाया
गंगा की
पावन धारा में
सबने नहाया
सुबह सूरज
सारे बच्चों को
जगाने आया
रात में सबने
लक्ष्मी गणेश को
लड्डू का भोग
चढ़ाया
असंख्य दीपों से
नगर को सजाया
सारे घरों के द्वार पर
खुशियां छा गयीं
रात की चहलपहल
सबके साथ बच्चों को
खासकर भा रही
सारे लोग सुबह से
घर आंगन बाजार बस्ती
गलियों की सफाई में
जुटे हैं
किसान रबी की
बुआई से पहले
नहाने के लिए
नदी के किनारे
गये हैं
सागर के किनारे
नीला आकाश
सुबह सुनहरी
लहरों को निहारता
हिमालय धर्म की
ध्वजा थामकर
शत्रु को ललकारता
धरती अंगराई लेकर
उठी है
हवा सबके पास
आकर
अब सच्चे प्रेम में
पगी है
नया सवेरा आया
राम ने भरत को
गले से लगाया
अयोध्यावासियों ने
उनपर
फूल बरसाया
अपनी प्रजा के
प्रेम को पाकर
राम ने माथा नवाया
रामराज्य आया
कवि परिचय
- राजीव कुमार झा
- जन्म : 8 जुलाई 1971
- शिक्षा: एम . ए .( जनसंचार और हिंदी )
- दो कविता संग्रह शाम की बेला और यादों के पंछी प्रकाशित
- वर्तमान में बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया में स्थित इंदुपुर में निवास
- पत्र पत्रिकाओं में निरंतर कविता, समीक्षा लेखन
- मोबाइल नंबर – +6206756085
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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