साहित्य लहर

रक्षा-बंधन

रक्षा-बंधन, मम्मी- पापा,दादा- दादी, देख -देख,खुश होते l उनको फिर आशीष वे देते, सपने पूरे करते ll प्यार नहीं निर्भर उत्सव पर, रिश्ता यह अलबेला l खुशियां बांटो दुनिया में, यह चार दिनों का मेला ll #सत्यवती आचार्य, चंडीगढ़

राखी का उत्सव है आया ,
खुशियाँ ढेरों लाया l
खुश होकर, भैया को देखो,
क्या- क्या लेकर आया ll

बहना भी आगे बढ़-चढ़ कर,
क्या-क्या करती दिखती l
घर को सजा- धजा कर फिर वह,
खुद भी सजती -धजती ll

मम्मी- पापा,दादा- दादी,
देख -देख,खुश होते l
उनको फिर आशीष वे देते,
सपने पूरे करते ll

प्यार नहीं निर्भर उत्सव पर,
रिश्ता यह अलबेला l
खुशियां बांटो दुनिया में, यह
चार दिनों का मेला ll


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रक्षा-बंधन, मम्मी- पापा,दादा- दादी, देख -देख,खुश होते l उनको फिर आशीष वे देते, सपने पूरे करते ll प्यार नहीं निर्भर उत्सव पर, रिश्ता यह अलबेला l खुशियां बांटो दुनिया में, यह चार दिनों का मेला ll #सत्यवती आचार्य, चंडीगढ़

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