साहित्य लहर
कविता : चांद-सितारे
सुनील कुमार माथुर
पत्नी गुस्से में पतिदेव से बोली
शादी से पहले तो तुम कहते थे कि
तुम कहो तो मैं तुम्हारे लिए आसमान से
चांद-सितारे तोड लाऊं लेकिन
मैं पिछले दो दिन से तुम्हें
आलू-प्याज लाने का कह रहीं हूं
वो तो तुम आज तक लायें नहीं
चांद-सितारे क्या खाक लाओगें
पत्नी गुस्से में पतिदेव से बोली
शादी से पहले तो तुम कहते थे कि
तुम कहो तो मैं तुम्हारे लिए आसमान से
चांद-सितारे तोड लाऊं लेकिन
मैं पिछले दो दिन से तुम्हें
आलू-प्याज लाने का कह रहीं हूं
वो तो तुम आज तक लायें नहीं
चांद-सितारे क्या खाक लाओगें
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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