कविता : दीप जलाएं
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
आओ सब जन मिलकर दीप जलाएं ।
अंधेरा मिटाकर उजाला घर ले आएं ।।
आओ सब जन मिलकर रंगोली सजाएं ।
घर – आंगन में ढेरों खुशियां बिखराएं ।।
रात अमावस की काली – काली तो क्या
दीपशिखा से कोना -कोना करें प्रकाशित,
आओ सब जन मिलकर दिवाली मनाएं ।।
हृदय से झूठ, छल, कपट सब मिटाएं ।
बस प्रेम के दीपक सदा घर-घर जलाएं ।।
मन में लेकर मधुरता खूब मुस्कुराएं ।
मिटाके तिमिर, ज्योतिर्मय सब होजाएं ।।
आओ सब जन मिलकर दीप जलाएं ।
नभ – मंडल तक खुशियां बिखराएं ।।
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मुकेश कुमार ऋषि वर्मालेखक एवं कविAddress »संचालक, ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय | ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9627912535Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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