साहित्य लहर
गुरु शिष्य

राजीव डोगरा ‘विमल’
गुरु शिष्य का रिश्ता है
प्रेम भाव से निभता है,
गुरु ज्ञान रत्नों का भंडार है
देकर शिष्य को,
दिलवाता समाज में
प्रतिष्ठा मान-सम्मान है।
शिष्य गुरु चरणों में
जब झुकता है ,
तभी तो उसको
ज्ञान अमृत फल मिलता है।
आओ,
गुरुओं का मान करें
मिलकर दिल से
उनका सम्मान करें।