साहित्य लहर
कविता : वक्त को वक्त दो…!
नवाब मंजूर
करो हिफाजत वक्त की
करो इबादत वक्त की
अच्छी नहीं अदावत वक्त से
समझो नज़ाकत वक्त की।
जाने कब पलट दे बाज़ी?
करो न जल्दबाजी,
वरना,
पल में निकल जाएगी
सारी हवाबाजी!
वो दगाबाजी
वो अय्याशी
वो होशियारी?
करो तैयारी..
उन सबकी सारी
जो तूने की है गुस्ताखी!
मांग लो उस रब से माफी
यही है काफी!
वरना भुगतने की करो तैयारी
फिर ना कहना
#नवाब_मंजूर बताया नहीं??
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मो. मंजूर आलम ‘नवाब मंजूरलेखक एवं कविAddress »सलेमपुर, छपरा (बिहार)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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