कविता : एक मिसाल मोहब्बत के नाम
कविता : एक मिसाल मोहब्बत के नाम… कहीं और नजर जाति नहीं, अब इसी नजर से हमें दुनिया से, रुखसत किया जाए। लाख रोड़े आए पर इश्क, ना घबराए। दीवानगी देख पत्थर भी पिघल जाए। ✍️ राही शर्मा
तनहा बैठे थे उनकी यादों में
खोए हुए।
तभी किसी ने दिल के दरवाजे
पर दस्तक दी।
हमने देखा सामने खुदाया है
कहां तुमने यह क्या हाल
बनाया है।
तुमने तो गुनाह किया है।
मोहब्बत में सब कुछ तबाह
किया है।
हमने कहा हमें सजा दी जाए।
हमारा गुनाह बहुत बड़ा है
हमें माफ न की जाए।
खुदाया उन पर नजर जाके
जो ठहरी है।
कहीं और नजर जाति नहीं
अब इसी नजर से हमें दुनिया से
रुखसत किया जाए।
लाख रोड़े आए पर इश्क
ना घबराए।
दीवानगी देख पत्थर भी
पिघल जाए।
हमने अपना वह हाल बना लिया
उनको पाने के लिए इतना गिरे
कि सब कुछ गंवा दिया।
अब मेरा कोई अस्तित्व
नहीं बचा है।
पाक दामन दागदार हो
चुका है।
खुदाया तुमने यह क्या
बना दिया।
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दिल के रिश्ते को इतना
गहरा बना दिया।
डूब जाए इसमें फिर कहां
दुनिया देखते हैं।
जीते जी मोहब्बत को कफ़न
पहना दिया।
खुदाया मेरी मोहब्बत को
अमर बना दो।
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सदियों तक याद रखें दुनिया
यह मिसाल तूफानी हवाओं में
जला दो ।
मोहब्बत को भी एक
खिताब दे दो ।
इसे भी अमर ज्योति का
नाम दे दो ।
दुनिया में इसे इसी रूप से
जाना जाए ।
पाक मोहब्बत को यह अनमोल
(खजाना ) तोहफा दे दो।
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