कविता : बातों में मत उलझाओ हमें
कविता : बातों में मत उलझाओ हमें, रखी है जो पोटली बांध कर। दर्द वह गंगा में अभी बहाने हैं। इश्क के मरीज आते हैं पूछने। बचने के गुर उनको बताने हैं। सवालों के हल ढूंढ़ने में लगा है दिल। पढ़ें सुदेश दीक्षित की कलम से…
बातों में मत उलझाओ हमें ।
अश्क हमें अभी सुखाने हैं।।
रखी है जो पोटली बांध कर।
दर्द वह गंगा में अभी बहाने हैं।।
इश्क के मरीज आते हैं पूछने।
बचने के गुर उनको बताने हैं।।
सवालों के हल ढूंढ़ने में लगा है दिल।
तेरे आने से पहले इसे जबाव बताने है।।
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