कविता : मेघ भरा गगन
राजीव कुमार झा
बरसात के दिन
ठंडी फुहारों से
खुशियां लुटाते
सबको खूब भाते
जंगल में हाथी
जलाशयों में जाकर
इस मौसम में
नहाते
धरती पर सुख के
दिन
फिर लौट आते
अरी प्रिया
सावन के मेले में
यहां कितने लोग
कांवर में जल भरकर
मंदिर में जाते
जिंदगी की
इन राहों में
हम सुबह रोज
भोलानाथ को
माथा नवाते
बादलों को
खेतों में बुलाते
सुबह कनेर का
फूल तोड़ने
गांव की बगिया में
जाते
जूही चंपा हरसिंगार
तोड़ कर लाते
सुंदर हार से
तुम्हें सजाते
बारिश के बाद
शंख बजाते
मेघ भरा यह गगन
आज सुंदर है!
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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