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साहित्य लहर

कविता : बचपन की यादें

कविता नंदिनी

बचपन तो बचपन होता है, तेरा हो या मेरा था
खुशियों की बारातें होती,अल्हड़पन का डेरा था

हसीं खुशी के दिन होते थे मनमानी के नाते थे
उछल कूद में दिन बीते थे हम मस्ती में गाते थे

अलग-अलग जन्में थे हम सब, लेकिन साथ बसेरा था,
बचपन तो बचपन होता है तेरा हो या मेरा था

मां के आंचल में छुप जाते कभी गोद में सो जाते
भाई – बहन कभी हम मिलकर दूध – मलाई खा जाते

अल्हड़पन की मनमानी थी,नादानी ने घेरा था
बचपन तो बचपन होता है, तेरा हो या मेरा था

नाज भरा सबका ही बचपन लाड प्यार में पलना था
कंधे चढ़ कर दुनिया देखे फिर पावों पर चलना था

यादें बहुत लुभाती हैं ,वे बचपन नया सवेरा था
बचपन तो बचपन होता है तेरा हो या मेरा था


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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कविता नंदिनी

कवयित्री


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सिविल लाइन, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)


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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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