साहित्य लहर
कविता : चंपा और चमेली
कविता : चंपा और चमेली… स्तब्ध रात्रि में नीरव स्वर में चहुंदिस आलोड़ित रजनी संध्या की छाया यौवन की अठखेली अली सुंदरी महक रही कलियां उपवन में खिली हुई हैं , चंपा और चमेली प्यार की राहों में तुम कितनी भोली भाली सांवरी सलोनी अलबेली! #राजीव कुमार झा
सागरतट पर आकर
लहरों में तुमको पाकर
गीत सुनाता चांद
इसी पहर
आसमान में सितारों को
अपने पास बुलाकर
अनुपम रूपराशि की
स्वामिनी
सागर की
फेनिल लहरों में कौंध रही
आज दामिनी ।
स्तब्ध रात्रि में नीरव स्वर में
चहुंदिस आलोड़ित रजनी
संध्या की छाया
यौवन की अठखेली
अली सुंदरी
महक रही कलियां
उपवन में खिली हुई हैं ,
चंपा और चमेली
प्यार की राहों में
तुम कितनी भोली भाली
सांवरी सलोनी अलबेली!