साहित्य लहर
कविता : आश्वासन

सुनील कुमार माथुर
! तू इतना स्वार्थी , कपटी , चालाक
लोभी और लालची क्यों बन गया
बात – बात में तू क्यों झूठ बोलता हैं
क्यों नेता बने फिरता हैं और बात बात में
जनता-जनार्दन को झूठे आश्वासन देता हैं
हें मानव ! सत्य सदा सत्य ही होता हैं
झूठ हमेशा झूठ ही रहेगा
हें मानव ! तू झूठे आश्वासन मत दे
आश्वासनो पर टिकी झूठी बातें
लम्बे समय तक किसी के समक्ष नहीं चलती हैं
एक न एक दिन सत्य अवश्य ही सामने आता हैं
अतः
हें मानव ! झूठ व आश्वासन की दुनियां से बाहर निकल
और सत्य की राह पकड
जो सत्य पर चलता हैं
वही प्रगति के मार्ग पर
आसानी से आगे बढ सकता हैं
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