
देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून आगमन पर एक साथ संस्कृति, श्रद्धा और किसान हितों से जुड़े दो बड़े कदम उठाए। प्रधानमंत्री ने जहां उत्तराखंड डाक परिमंडल द्वारा तैयार राज्य के प्रमुख तीर्थ स्थलों एवं सांस्कृतिक प्रतीकों पर आधारित विशेष डाक टिकट श्रृंखला का विमोचन किया, वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत 28 हजार से अधिक किसानों के खातों में ₹62 करोड़ से अधिक की राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से जारी की।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष डाक टिकट श्रृंखला का लोकार्पण करते हुए कहा कि उत्तराखंड केवल देवभूमि ही नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक आत्मा का प्रतीक है। इस डाक टिकट श्रृंखला के माध्यम से राज्य की समृद्ध धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी। ये टिकट श्रृंखला उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थस्थलों, पारंपरिक लोक कला और पर्वतीय संस्कृति की झलक पेश करती है, जो आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम बनेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डाक टिकट केवल डाक प्रणाली का हिस्सा नहीं, बल्कि यह इतिहास और संस्कृति के दस्तावेज होते हैं। उन्होंने उत्तराखंड डाक परिमंडल की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास राज्य की गौरवशाली परंपरा को संजोने और उसे दुनिया तक पहुँचाने का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने किसानों को भी बड़ी सौगात दी। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत राज्य के 28,000 से अधिक किसानों के बैंक खातों में ₹62 करोड़ से अधिक की राशि सीधे ट्रांसफर की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह राशि न केवल आर्थिक सहायता है, बल्कि किसानों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और भरोसे का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदाओं और फसल क्षति से जूझ रहे पहाड़ी किसानों के लिए यह योजना एक ढाल की तरह काम करेगी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए उन्हें ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पर आधारित एक विशेष प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड तेजी से विकास की राह पर अग्रसर है और राज्य की जनता उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन के लिए सदैव कृतज्ञ रहेगी। प्रधानमंत्री के इस दौरे ने न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को नया आयाम दिया, बल्कि किसानों के लिए भी यह दिन एक ऐतिहासिक अवसर बन गया। रजत जयंती समारोह का यह पल देवभूमि के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया, जहां परंपरा और प्रगति दोनों का संगम मंच पर एक साथ दिखाई दिया।





