
सुनील कुमार माथुर
कलम जिस तरह से झुक कर चलती हैं और श्रेष्ठ लेखन करती हैं ठीक उसी तरह से इस नश्वर संसार में मनुष्य को चलना चाहिए । यह कलम का ही कमाल हैं कि वह जितना झुक कर चलती हैं उतना ही श्रेष्ठ लेखन करती हैं चूंकि उसका झुकाव हमें नम्रता व विनम्रता का पाठ पढाती हैं । जीवन उसी का सफल हो पाता हैं जो दूसरों को प्यार – स्नेह व ममता बढता हैं । जीवन में सफलता और असफलता हर किसी के साथ चलती ही रहती हैं लेकिन कभी भी असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए । हर असफलता में सफलता छिपी रहती हैं ।
कलम का ही यह कमाल हैं कि वह इंसान को वाणी पर नियंत्रण रखना सिखलाती है । चूंकि हम वही तो लिखते हैं जो हम सोचते है । अतः कलम हमें यह सीख देती हैं कि सदैव सकारात्मक सोच के साथ आगें बढना और मन – मस्तिष्क में अच्छे विचारों का मंथन करें । आप अच्छा सोचेगे अच्छा बोलेगे तभी तो अच्छा लिख पायेंगे । कलम तो बस आपके विचारों को लेखनी के माध्यम से जन – जन तक पहुंचाने का नेक कार्य करती हैं ।
अतः जीवन में कभी भी किसी कि भावना को ठेस न पहुंचायें और न ही किसी का बुरा सोचें । जब आपके विचार श्रेष्ठ होंगे तभी तो आप श्रेष्ठ लेखन कर पायेंगे । झुककर चलने में ही महानता है । जिस तरह से कलम झुक कर चलती हैं और श्रेष्ठ लेखन करती हैं ठीक उसी प्रकार फलदार वृक्ष भी फलों के पकने पर झुक जातें है । यहीं कारण है कि हम रसीले फलों को आसानी से तोड कर उनका आनंद ले पाते हैं ।
जो इस नश्वर संसार में जितना झुकता है उतना ही महान् कहलाता है चूंकि कलम और फलों से लदी झुकी हुई डाल हमें यह प्रेरणा देती हैं कि इंसान को अंहकार , घमंड , ईर्ष्या छल कपट का त्याग कर हमेशा नम्रता व विनम्रता के साथ व्यवहार करना चाहिए । चूंकि ऐसा करने से ही हमारे आपसी संबंधों में मधुरता आती हैं और वे पहले से भी अधिक मजबूत बनते हैं ।
जो इंसान नम्रता व विनम्रता के साथ व्यवहार करता हैं समाज में वहीं व्यक्ति अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकतें है । जहां नम्रता व विनम्रता हैं वहां अंहकार , घमंड , ईर्ष्या छल कपट का कोई स्थान नहीं है । कहने का तात्पर्य यह है कि आज के वक्त में किसी के साथ बिना वजह न उलझे और सभी के साथ समान व्यवहार करे और मधुर संबंध बनायें रखें ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() | From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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