बापू के नाम खुला खत
आपने लाठी किसी को मारे बिना अंग्रेजों को खदेड दिया तो मंहगाई किस खेत की मूली है...
सुनील कुमार माथुर
आदरणीय बापू !
सादर चरणस्पर्श । बापू बचपन में पढा था कि भारत सोने की चिडियां हैं और एक गाना भी बजता था कि डाल – डाल पर सोने की चिडियां करती हैं बसेरा वह भारत देश हैं मेरा इतना ही नहीं यह भी सुना करते थे कि यहां दूध , दही व घी की नदियां बहा करती थी और भारत के लोग साधन – संपन्न थे । भारत का हर नागरिक ईमानदार व चरित्रवान था । लोग किसी को कोई वस्तु उधार भी देते थे तो वापस मांगते नहीं थे ।
लेकिन हे बापू ! वह सोना कहां गया । वह सोने की चिडियां कहां चली गयी । वह घी , दूध व दही की नदियां कहां चली गई । वह साधन सम्पन्नताकहां चली गई । वह ईमानदारी व चरित्र कहां चला गया ।
हे बापू ! मैं तो देख रहा हूं कि देश मे चारों ओर लूट – खसोट मची हुई हैं । आज भाई – भाई के खून का प्यासा बना हुआ हैं हे बापू ! यह मिलावटी घी , दूध व दही आज की युवापीढ़ी को संस्कारहीन व चरित्रहीन बना रहें है । अगर आज के दूध के माखन को देखे तो भगवान कृष्ण भी उसे खाने से इंकार कर देवे ।
हे बापू ! मंहगाई इतनी बढ गई हैं कि गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों का जीना मुश्किल हो गया है । आज अमीर और अमीर होता जा रहा हैं और गरीब और गरीब चूंकि सरकार की तमाम योजनाएं पूंजीपतियों को येन केन प्रकारेण लाभ पहुंचाने के लिए बनाई जा रही हैं । हे बापू ! आज का इंसान इतना गिर गया हैं कि वह अपने लाभ के लिए दूसरों के जीवन से खिलवाड कर रहा हैं और सरकारें मौन बैठी हैं।
हे बापू ! आप से हाथ जोडकर विनती हैं कि आप इस धरा पर एक बार फिर से आइये और वस्तु स्थिति को देखिये । आपकों खुद पता चल जायेगा कि यहां क्या हो रहा हैं । हे बापू ! आप एक बार आइये और नये भारत का नव निर्माण कीजिए । जनता-जनार्दन को इस मंहगाई की मार से राहत दिलाएं । आपके आगमन की तमाम देशवासी बडे ही उत्साह व उमंग के साथ इन्तजार कर रहें है ।
आपने अपनी लाठी किसी को मारे बिना अंग्रेजों को भारत से खदेड दिया तो यह मंहगाई किस खेत की मूली हैं । इस लाठी की फटकार बिचौलियों पर व जमाखोरों पर बरसाए ताकि जनता-जनार्दन को मंहगाई की मार से राहत मिल सके।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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