नए संबंधों को बनाए रखने के लिए ये गलतियां बिलकुल न करें

नए संबंधों को बनाए रखने के लिए ये गलतियां बिलकुल न करें… संबंध को पक्का बनाने के लिए समय दें। हर स्टेज पर पूरा समय लें। उतावल करने से हो सकता है कि आप ऐसे फैक्ट्स नजरअंदाज कर दें, जिसके कारण… ✍🏻 स्नेहा सिंह, नोएडा-(उ.प्र.)

हम किसी के साथ रिलेशनशिप में हों, नया-नया विवाह हुआ हो, नया फ्रेंड बना हो, किसी के साथ नए-नए संबंध बने हों, इन मौकों से हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी गुजरता ही है। ज्यादातर लोग नए संबंधों को मजबूत बनाने के लिए अपना सर्वस्व होम कर देते हैं। जिससे संबंधों की शुरुआत अच्छी होती है। इस तरह देखा जाए तो किसी भी संबंध को बनाए रखने और मजबूत करने के लिए सर्वस्व होम कर देना अच्छी बात है, पर क्या इससे संबंध टिके रह सकते हैं? अगर टिके भी रह सकते हैं तो क्या हम इससे खुश रह सकते हैं? कभी-कभी आगे चल कर हम इनमें दिक्कत महसूस करने लगते हैं। कभी-कभी हम से ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जो भविष्य में हमारे लिए परेशानियां खड़ी करती हैं। अति उत्साह में आ कर हम गलतियां कर बैठते हैं, आइए हम यहां उन्हीं गलतियों के बारे में जानते हैं।

उतावल कभी न करें – संबंध बनें और उसके बाद वे लंबे समय तक टिके रहें, यह बहुत जरूरी है। इसके लिए खूब सोच-विचार कर आगे कदम बढ़ाना चाहिए। पर इस समय की जनरेशन उतावल स्वभाव की है। इसे सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी सब कुछ चाहिए। किसी के प्रति आकर्षण हुआ नहीं कि आगे के स्टेप के बारे में सोचने लगती है। किसी के साथ दोस्ती करनी हो या फिर दोस्ती को रिलेशनशिप में बदलना हो या फिर विवाह जैसा जीवन का अति महत्वपूर्ण निर्णय लेना हो। संबंध के पथ पर इस तरह तेजी से दौड़ा जाए तो दुर्घटना हो सकती है। इसलिए संबंध को पक्का बनाने के लिए समय दें। हर स्टेज पर पूरा समय लें। उतावल करने से हो सकता है कि आप ऐसे फैक्ट्स नजरअंदाज कर दें, जिसके कारण आगे चल कर आप को पछताना पड़े। किसी भी संबंध में जब तक नाराजगी और मनाना अनेक बार न हो चुका हो, तब तक कोई संबंध आगे नहीं बढ़ता। इससे आप दोनों को संबंधों कि दिशा का अंदाजा हो जाएगा। इसलिए उतावल किए बगैर धीरे-धीरे संबंध में आगे बढ़ें।

तुलना न करें – जीवन में आगे बढ़ना हो, नई शुरुआत करनी हो तो भूतकाल को भूल कर आगे कदम बढ़ाना होगा। पुरानी बातें और लोगों को भूलना होगा। पर हकीकत यह है कि हमारा दिमाग कोई मशीन नहीं है कि डाटा इरेज किया और सब रिसेट हो गया। हम भले कहें कि पीछे के संबंधों को या प्रेमी-प्रेमिका को अथवा पार्टनर को पूरी तरह पूरी तरह भूल चुके हैं, पर दिल के एक कोने वह छुपा पड़ा ही होता है। वह जब तक दिल में रहे, ठीक ही है, पर जब वह शब्दो द्वारा व्यक्त हो जाए तो नए संबंधो में कड़वाहट आनी शुरू हो जाती है। सामान्य रूप से अधिकांश लोग अपने पहले और इस समय के संबंधों की तुलना जाने-अनजाने में करने लगते हैं। भोलेपन में यह बात नए पार्टनर को बता भी देते हैं। अपनी तुलना किसी अन्य व्यक्ति से कोई करे, यह किसे अच्छा लगता है? अनजाने में एकाध बार पार्टनर की तुलना तो ठीक है, पर बारबार की तुलना से पार्टनर को लगेगा कि आप अभी भी पुराने संबंधों से निकल नहीं पाई हैं। परिणामस्वरूप नया पार्टनर आप का पूरी तरह होने का प्रयत्न नहीं कर सकता। एक अभेद अदृश्य रेखा आप के बीच खिंच जाती है। अगर ऐसा हुआ तो वह आप को छोड़ कर आगे भी निकल सकता है। इसलिए बराबरी या तुलना करना टालें।

संबंध को बचाने के लिए आखिर कितना प्रयत्न करें – जब हम किसी के साथ रिलेशन में होते हैं या पति-पत्नी के संबंध हों, इनमें थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे होता ही रहता है। कभी-कभार छोटे-मोटे झगड़े से मन दुखी हो जाता है। यह सब स्वाभाविक भी है। ऐसे समय में यह सलाह दी जाती है कि अपने ईगो को एक किनारे कर के पार्टनर से सुलह कर लेना चाहिए। ईगो को किनारे करने की बात वहीं तक जायज है, जब तक दोनों पार्टनर उसे अपना रहे हों। अगर संबंधों में बारबार आप को ही झुकना पड़ रहा हो तो संबंध नया हो या पुराना, समझ जाइए कि इसमें कुछ गड़बड़ है। आप को इस संबंध में पार्टनर से बात करनी चाहिए। आप बात किए बगैर संबंध को बचाने के लिए हर बार इसी तरह झुकती रहेंगी तो आगे चल कर अनेक प्रॉब्लम्स खड़ी होंगी। इसके लिए जिम्मेदार कहीं न कहीं यही बारबार आप का झुकना होगा। इसमें एक समय ऐसा भी आ सकता है, जब आप परेशानी का अनुभव करने लगेंगी। संबंध को बचाने का प्रयास हर बार आप ही न करें, जरूरी है कि सामने वाला भी प्रयत्न करे।

आजादी को सरेंडर न कर दें – प्रकृति और समाज द्वारा सब से उत्तम अगर कोई चीज है तो वह आजादी है, क्योंकि हमने आजादी मांगी नहीं, यह हमें पैदाइशी मिली है। तमाम लोगों या पार्टनर को इसकी कद्र नहीं होती, इससे वे अपने पार्टनर को आजादी देना उचित नहीं मानते। सामान्य संयोगों में दूसरा कोई आप की स्वतंत्रता को जबरदस्ती झपटने की कोशिश करता है तो आप इसका प्रतिकार करती हैं, परंतु अक्सर यह देखने में आता है कि प्यार में पड़ कर लोग अपनी आजादी खो बैठते हैं। नए-नए प्यार में पार्टनर को खुश रखने, उसे प्रभावित करने के लिए तमाम लोग अपनी दिनचर्या तक को लोग पार्टनर के अनुरूप बना देते हैं। शुरुआत में इस मामले में रोमांटिक साउंड कर सकती हैं, पर कुछ समय बीत जाने के बाद इस तरह का प्यार दोनों पार्टनर के लिए इस तरह का प्यार परेशानी बनने लगता है। आप भले ही प्यार में कितना भी डूब गई हों, अपनी आजादी को कभी न सरेंडर करें। आप का मी-टाइम, अपने दोस्त और परिवार के लिए समय निकालना न भूलें। किसी भी संबंध में एक-दूसरे को आजादी देने से ही संबंध अधिक मजबूत होते हैं।


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